पिटोल हाइवे पर फेंके जा रहे मेडिकल वेस्ट से लोगों की सेहत पर खतरा
Dhaar News: पिटोल हाइवे पर अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल और बायो मेडिकल वेस्ट का खुले में फेंकना और जलाना एक गंभीर समस्या बन गया है। रोड के किनारे लगभग 50 मीटर तक दवाओं, गोलियों, सीरप की बोतलों और इस्तेमाल हुई सिरिंज का ढेर लगा है। कुछ जगह स्थानीय लोगों ने इसे जलाने की कोशिश भी की, जिससे उठने वाला धुआं और गंध आसपास फैल रही है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, एक्सपायर हो चुकी दवाइयों और अन्य केमिकल वेस्ट को खुले में जलाना पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक है। इनमें जहरीली गैसें निकलती हैं और बैक्टीरिया फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इससे आसपास के लोगों को संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है।
अस्पतालों से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट सामान्य कचरे के साथ एकत्र कर दिया जाता है। जिला अस्पताल में सभी प्रकार का कचरा एक ही जगह जमा किया जाता है, जिसमें बायो मेडिकल वेस्ट भी शामिल है। इसे इंदौर या अन्य उचित नष्टिकरण केंद्रों पर भेजा जाना चाहिए, लेकिन कई बार यह कचरा नगर पालिका के ट्रेचिंग ग्राउंड में फेंक दिया जाता है। कुछ मामलों में ट्रैक्टर चालक इसे सीधे अस्पताल के मेन गेट के पास फेंककर चला जाता है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब इस मामले की जांच कर रहे हैं और सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को निर्देश दे रहे हैं कि वे मेडिकल वेस्ट का निपटान निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार करें। विभाग ने कहा है कि जिम्मेदारों की पहचान कर उचित नष्टिकरण की व्यवस्था कराई जाएगी।
स्थानीय लोग लंबे समय से इस समस्या से परेशान हैं। बैतूल-अहमदाबाद हाइवे के पास पिटोल बायपास पर बने इस अस्थायी डंप यार्ड में पुराने दवाओं का ढेर लगातार बढ़ रहा है। इसकी वजह से इलाके में गंदगी फैल रही है और लोगों की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। आसपास के लोग कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि ये वेस्ट कौन फेंक रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मेडिकल वेस्ट का सही निपटान केवल कचरा और रिसाइकलिंग केंद्रों पर किया जा सकता है। खुले में जलाने या फेंकने से गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरे पैदा होते हैं। इसके अलावा, एक्सपायर हो चुकी दवाओं में बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जो जलाने के बावजूद आसपास फैल सकते हैं।
अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही अस्पतालों और निजी संस्थानों में इस समस्या को ठीक करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार उचित नष्टिकरण से उनके स्वास्थ्य और आसपास के पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।