Dhaar News: तेजी से गिर रहा भू-जलस्तर, रीजार्च केवल तालाबों से ही हो रहा, पानी खींचने के 88 हजार स्रोत
Dhaar News: जिले का भू-जलस्तर तेजी से गिर रहा है। इसकी मुख्य वजह है कि जिले में पानी खींचने के 88 हजार स्रोत। जबकि रीजार्च केवल तालाबों से हो रहा। इनमें भी कुछ समय तक ही पर्याप्त पानी रह पाता है। तेजी से गिरते भू-जलस्तर के कारण जिले के गई ग्रामीण क्षेत्रों में जलसंकट की स्थिति बनी है। हालात ये है कि कई गांवों में लोग दो से तीन किमी दूर से पानी लाने के लिए मजबूर है।
जिले में ग्राउंड वाटर लगातार नीचे पहुंचता जा रहा है। मई में स्थिति यह आ गई है कि 350 फीट गहरे बोरवेल भी सूख गए हैं। इसके कारण लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत ऐसे क्षेत्रों में है, जहां पर नलों से पानी की सप्लाई नहीं होती है। वहां लोग खेतों में लगे ट्यूबवेल से पानी लेकर आ रहे हैं।
शहर के हैप्पी विला कॉलानी, काशीबाग, त्रिमूर्ति क्षेत्र, कलेक्ट्रेट क्षेत्र, दीनदयालपुरम क्षेत्र मांडव रोड आदि में ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे पहुंच गया है। जिसके कारण लोगों के घरों में लगे ट्यूबवेल सूख गए हैं। हैप्पी विला क्षेत्र के रहने वाले गोपाल प्रसाद मालवीय ने बताया कि उनके यहां 175 फीट गहराई का बोर है, जो फरवरी में 15-20 तारीख तक सूख जाता है। रजनीश यादव ने बताया कि उनके यहां 350 फीट गहरा बोर है, लेकिन अप्रैल में वह भी सूख जाता है। दीनदयालपुरम् के राजेंद्र दुबे ने बताया कि उनके यहां पर 300 फीट गहरा ट्यूबवेल है। लेकिन अप्रैल के अंत तक यह सूख जाता है।
इन जलस्रोतों से निकाला जा रहा पानी
ग्राउंड वाटर गिरने का कारण इसका अधिक उपयोग है। जिले में ट्यूबवेल और कुएं मिलाकर करीब 88 हजार हैं। इनके पानी का उपयोग किसान खेतों में सिंचाई करने में और लोग घरों में पानी की जरूरत के लिए करते हैं। जिले में 52 हजार 500 के करीब कुएं और 35 हजार से अधिक ट्यूबवेल है हैं। इनसे पानी लिया जाता है। लेकिन ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने तालाबों के अलावा कोई अतिरिक्त संसाधन नहीं हैं।
दो तीन साल में दिखेगा अभियान का असर
पीएचई के ईई एचएस बामने ने बताया कि वर्तमान में जिले में औसतन 30-40 मीटर पर ग्राउंड वाटर है। नालछा, बदनावर, धार और तिरला आदि ब्लाकों में खेती का काम ग्राउंड वाटर से ही होता है। इसके कारण इसका दोहन अधिक होता है। जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। इससे तालाब, कुओं, बावड़ियों को ठीक किया जा रहा है, नए तालाब बनाए जा रहे हैं। इसका असर दो से तीन साल में दिखेगा। ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ जाएगा। नर्मदा पाइप लाइन डाली जा रही है।