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कम बारिश से किसानों की बढ़ी चिंता, कीटनाशक पर करना पड़ रहा अतिरिक्त खर्च

 

Dhaar News: इस साल बारिश सामान्य से कम हुई है। परिणामस्वरूप तालाब और अन्य जलस्रोत पर्याप्त रूप से नहीं भर पाए। अधिकांश सिंचाई तालाब खाली हैं, जिससे किसानों को रबी सीजन की फसलों की सिंचाई की चिंता अभी से सताने लगी है। किसान बताते हैं कि वे मुख्य रूप से तालाब के पानी से ही सिंचाई करते हैं। पानी कम होने के कारण रबी में केवल गेहूं और चना जैसी कम पानी वाली फसलें ही लगाई जा सकेंगी। भू-जलस्तर में भी बढ़ोतरी न होने से स्थिति और चिंताजनक हो रही है।

अल्प वर्षा के चलते खरीफ फसलों को भी नुकसान पहुंचा है। कई किसानों ने बताया कि फसलों को बचाने के लिए उन्हें अतिरिक्त कीटनाशक और खाद का उपयोग करना पड़ रहा है। इससे लागत बढ़ गई है और लाभ घटने की संभावना है। किसानों का कहना है कि मेहनत और खर्च के बावजूद यदि पर्याप्त पानी नहीं मिला तो उपज घट जाएगी।

प्री-मानसून में कुछ दिनों तक अच्छी बारिश हुई थी, जिससे खरीफ फसलें आंशिक रूप से बच गईं। लेकिन इसके बाद बरसात का दौर थम गया। वर्तमान में तालाब और कुएं सूने पड़े हैं। यदि आने वाले दिनों में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई तो फसलों को पानी नहीं मिल पाएगा।

किसानों की राय

किसान हरिओम पाटीदार ने कहा कि दवाइयों और खाद पर खर्च बढ़ गया है, लेकिन पानी न होने पर यह मेहनत बेकार जाएगी। सुरेंद्र पटेल का कहना है कि तालाब और कुओं में पानी न होने से गेहूं और चना जैसी फसलें ही विकल्प बची हैं। गोपाल ने बताया कि पिछले साल लहसुन की खेती में नुकसान हुआ था, इस बार पानी की कमी से बोवनी टाल दी है। रामचंद्र पाटीदार का कहना है कि बीज सस्ता है, लेकिन पानी की कमी से निवेश करना जोखिम भरा है।

लहसुन की खेती पर असर

पानी की कमी का सीधा असर लहसुन की बोवनी पर पड़ा है। पिछले साल ऊटी लहसुन का बीज 45-50 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था। इस साल कीमत 25-30 हजार तक गिर गई, फिर भी पानी की अनुपलब्धता के कारण किसान रुझान नहीं दिखा रहे। केवल वही किसान लहसुन लगा पा रहे हैं जिनके पास सिंचाई की पूरी व्यवस्था है। यदि अगले कुछ दिनों में अच्छी वर्षा होती है तो लहसुन की खेती की ओर किसानों का रुझान दोबारा बढ़ सकता है।