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फोरलेन ब्रिज पर बंद लाइटें बनी खतरा, संकेतक न होने से बढ़ रहे हादसे

 

Dhaar News: उज्जैन-बदनावर फोरलेन बनने के बाद लोगों को आवाजाही में आसानी तो मिली, लेकिन निर्माण में बरती गई लापरवाही अब हादसों की वजह बन रही है। लेबड़-नयागांव फोरलेन पर बने बड़े ब्रिज की स्ट्रीट लाइटें कई महीनों से बंद हैं। रात में यह इलाका पूरी तरह अंधेरे में डूब जाता है। अब तक इस एक किलोमीटर क्षेत्र में 11 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन न रोशनी बहाल की गई और न ही सुरक्षा इंतजाम किए गए।

शुरुआत में यहां आकर्षक लाइटिंग लगाई गई थी, जो दूर से ही ब्रिज को चमकदार दिखाती थी। यह जगह युवाओं के लिए सेल्फी प्वाइंट भी बन गई थी। लेकिन धीरे-धीरे लाइटें बंद होती गईं और अब स्थिति यह है कि अंधेरे में वाहन चालकों को सड़क का अंदाजा नहीं लग पाता। 12 मार्च को लाइट बंद होने के दौरान वाहनों की भिड़ंत में 8 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा मई और फरवरी में भी कई लोग हादसों का शिकार हुए।

फोरलेन बनने के बाद बदनावर से ढोलाना तक के 13 किलोमीटर हिस्से में अब तक 26 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। पहले ही बारिश में सर्विस रोड जगह-जगह से उखड़ गई। मिट्टी ठीक से नहीं दबाई गई, जिससे गड्ढे बन गए हैं और तेज रफ्तार गाड़ियां दुर्घटना का शिकार हो रही हैं। कंपनी द्वारा किया गया पेंचवर्क भी जल्द ही खराब हो गया।

इस मार्ग पर वाहन आमतौर पर 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलते हैं। लेकिन ब्रिज पर न तो सिग्नल हैं, न दिशा सूचक और न ही स्पीड लिमिट बोर्ड। काश्यप स्वीटनर्स के पास चढ़ाई वाले रास्तों पर कोई संकेतक न होने से वाहन गलत दिशा में ब्रिज पर चढ़ जाते हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।

स्थानीय प्रशासन ने माना है कि लाइट और सुरक्षा इंतजाम तुरंत दुरुस्त करना जरूरी है। अधिकारियों ने निर्माण कंपनी को संकेतक बोर्ड और सुरक्षा उपाय लगाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही चेतावनी दी गई है कि लापरवाही जारी रहने पर कार्रवाई की जाएगी।