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High court : अर्ध सैनिक बलों और सशस्त्र बलों के मामलों को मिले प्राथमिकता

 

हाईकोर्ट ने सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों ( The High Court has directed the personnel of the armed forces and paramilitary forces to) से संबंधित मामलों को प्राथमिकता देने का आदेश जारी किया है। इस निर्णय का उद्देश्य इन बलों के जवानों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करना है, जो देश की सुरक्षा और सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मुख्य न्यायाधीश के निर्देश (  Chief Justice's instructions) पर रजिस्ट्रार जनरल अरुण भारद्वाज द्वारा 7 अगस्त को जारी एक परिपत्र में इस आदेश को लागू किया गया।
इस परिपत्र में सेना अधिनियम ( Army Act,), 1950, नौसेना अधिनियम ( navy act), 1957, और वायु सेना अधिनियम( air force act), 1950 के प्रावधानों का हवाला दिया गया है। जो सशस्त्र बलों के कर्मियों ( armed forces personnel) से जुड़े मुकदमों में विशेष व्यवहार की व्यवस्था करते हैं।

इसके अतिरिक्त, भारतीय सैनिक (मुकदमेबाजी) अधिनियम ( The Indian Soldiers (Litigation) Act,) 1925, जिसे 2018 में संशोधित किया गया, सेवारत
सैनिकों (serving soldiers ) के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है। अदालत ने कहा कि सैन्य और अर्धसैनिक बलों ( Military and paramilitary forces) के कर्मियों के मामलों की सुनवाई में देरी से उनके कर्तव्यों और व्यक्तिगत जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

इसलिए, ऐसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाएगा, ताकि उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिल सके। इस नए आदेश के तहत, अदालतों को दिशा निर्देश दिया है कि वे सैन्य कर्मियों (। military personnel)  से जुड़े पारिवारिक विवाद, संपत्ति, या अन्य कानूनी मामलों को तेजी से सुनें और उनका जल्द से जल्द निपटारा करें।