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Kajari Teej 2025: 12 अगस्त को मनाया जाएगा कजरी तीज का त्यौहार, यहां देखें निमड़ी पूजन का सही तरीका और मुहूर्त

 

Kajari Teej 2025 : कजरी तीज उत्तर भारत की सांस्कृतिक परंपराओ की गहराइयों में रचा बसा एक बेहद ही खास त्यौहार है।यह त्यौहार मुख्य रूप से हरियाणा राजस्थान और दिल्ली में मनाया जाता है।सुहागन महिलाएं इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और अखंड सौभाग्यवती होने की कामना करती है।पारंपरिक वेशभूषा कजरी गीत की मधुर धुन और झूला झूलने की परंपरा इस त्यौहार को और भी खास बना देती है।

कजरी तीज के दिन एक विशेष पूजन होता है जिसे नीमड़ी पूजन कहते हैं। इस पूजन में महिलाएं नीम के डाली को देवी के रूप में पूजती हैं। इसे आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है क्योंकि यह प्रकृति से जुड़ा और स्त्री सशक्तिकरण का संदेश देती है।

 कजरी तीज का महत्व

 कजरी तीज हरियाली तीज के 15 दिन के बाद मनाया जाता है और यह त्यौहार विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास है। इस दिन महिलाएं पूजन करती है और पति की लंबी उम्र की कामना करती है साथ ही निर्जला व्रत भी रखती हैं।

नीमड़ी पूजन महिलाएं बेहद खास रूप से करती है। इस दिन महिलाएं नीम की डाल को स्थापित करके उसे देवी के रूप में पूजती हैं। इस दिन महिलाएं हल्दी चूड़ी होली सुहाग की सभी सामग्री निमड़ी माता को चढ़ाती है। यह पूजन सौभाग्य संतान सुख और घर में सकारात्मक का प्रतीक है।

व्रत और पूजन विधि

सुबह महिलाएं स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और दिनभर निर्जल उपवास करती हैं। शाम को नीम की टहनी या उसकी प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है। कजरी माता की कथा सुनी जाती है, जिसमें एक ब्राह्मणी के व्रत और उसकी परीक्षा की कहानी होती है। अंत में चावल और गुड़ का भोग लगाकर सुखद वैवाहिक जीवन और पारिवारिक सुख की प्रार्थना की जाती है। यह त्यौहार सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद ही खास होता है।