10 घंटे की ड्यूटी से नाराज़ Genpact के कर्मचारी, ऑनलाइन विरोध बढ़ा
Genpact Company: Genpact ने हाल ही में एक नया नियम लागू किया है, जिसमें कर्मचारियों को रोज़ाना 10 घंटे काम करना अनिवार्य किया गया है। यह नियम जून के मध्य से लागू हुआ है। इस फैसले को लेकर कर्मचारियों में काफी नाराज़गी है, क्योंकि न तो इसके लिए सैलरी बढ़ाई गई है और न ही इसे ठीक से समझाया गया।
The Hindu की रिपोर्ट के अनुसार, Genpact का नया सिस्टम अब कर्मचारियों के एक्टिव काम के घंटे ट्रैक करेगा। जो कर्मचारी हर दिन 10 घंटे काम करते हैं, उन्हें ₹3,000 तक का बोनस मिल सकता है। लेकिन अगर कोई 10 घंटे से ज़्यादा काम करता है, तो सिर्फ ₹150 का अतिरिक्त बोनस मिलेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि बेस सैलरी में कोई बदलाव नहीं किया गया।
कर्मचारियों ने बताया कि इस नियम की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। सब कुछ मौखिक रूप से कहा जा रहा है। अगर कोई कर्मचारी इस पर सवाल करता है, तो उसे 'मुश्किल' बताया जाता है और नौकरी जाने का डर दिखाया जाता है।
इस फैसले को लेकर कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर विरोध जताना शुरू कर दिया है। एक असिस्टेंट मैनेजर ने पोस्ट किया कि 10 घंटे की ड्यूटी से मानसिक तनाव और थकान बढ़ेगी। वहीं एक और यूज़र ने लिखा, “बेंगलुरु जैसे शहरों में ट्रैफिक के साथ 14 घंटे का दिन हो जाएगा, तो निजी जीवन खत्म हो जाएगा।”
Reddit पर भी लोगों ने इस नीति को "बिल्कुल गलत" बताया और कहा कि बिना सैलरी बढ़ाए काम के घंटे बढ़ाना अनुचित है।