Astronomical Event : आसमान आज अद्भुत खगोलीय घटना का गवाह बनेगा, चंद्रमा तीन रंगों के साथ अठखेलियां खेलेगा
भारत में रविवार को आसमान में सबसे बड़ी खागोलीय घटना होने वाली है। जहां पर आसमान का अलग ही नजारा देखने को मिलेगा, हालांकि उत्तर भारत में आसमान में बादल छाए रहने के चलते इस खगोलीय घटना का नजारा देखने से लोग वंचित रह सकते है। विज्ञानिकों के अनुसार धवल सफेद या भूरा दिखने वाला चांदग्रहण के कारण लालिमा ओढ़े हुए गहरे लाल रंग में दिखाई देगा।
पृथ्वी के साये में आगे बढ़ता चंद्रमा तीन रंगों के साथ अठखेलियां खेलेगा। दिल्ली में चंद्रग्रहण रात्रि 8:58 बजे से शुरू होकर देर रात्रि 2:25 बजे तक चलेगा। यह खगोलीय दृश्य 5 घंटे 27 मिनट तक आकाश में नजर आएगा, जो ज्यादातर देशों में देखा जाएगा।
यूं तो ग्रहण की घटना खगोल विज्ञान की दृष्टि में सामान्य है। लेकिन, ऐसे मौके कभी-कभार ही आते हैं, जब चंद्रमा विविध रंगों के साथ आकर्षक नजारा पेश करता है। ऐसा ही अनूठा नजारा पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान नजर आने वाला है। इसके प्रथम चरण में चांदी के समान चमकते चंद्रमा का रंग हल्का धुंधला नजर आएगा। रात 8.58 बजे से 9.57 बजे तक धुंधलापन बढ़ता जाएगा।
यह चार उप छाया वाला ग्रहण होगा। इसके बाद पृथ्वी की गहरी छाया चंद्रमा पर पड़नी शुरू हो जाएगी और चंद्रमा एक किनारे से काले साये से गुजरने लगेगा और यह छाया रात 11 बजे तक चंद्रमा को पूर्णतः अपने आगोश में ले लेगी। इसी दौरान चंद्रमा का रंग पहले हल्का नारंगी होने लगेगा। इसके कुछ पल बाद ही लाल रंग में रंग जाएगा।
चंद्रमा कुछ लम्हों बाद पुनः नारंगी रंग लिए नजर आएगा। साथ ही पूर्ण ग्रहण से चंद्रमा छंटना शुरू हो जाएगा, जो आगे बढ़ते काली छाया वाले ग्रहण से अंतिम चरण में लगभग 1.25 बजे मुक्त हो जाएगा। इसके बाद पुनः उप छाया वाले चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पुनः धुंधला नजर आएगा और यह धुंधलापन 2.25 बजे पूर्णतः छंट जाएगा।
सूर्योदय व सूर्यास्त जैसा ही नजर आएगा ग्रहण लगा चंद्रमा
नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के डा. शशिभूषण पांडे के अनुसार, पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्योदय व सूर्यास्त जैसा ही नजर आएगा। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाने से सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है, जो नीली रोशनी को विखंडित कर लाल रंग में तब्दील हो जाती है और चंद्रमा लाल रंग में रंगा नजर आता है। इसे ही ब्लड मून कहते हैं। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण दो मार्च 2026 होगा। इसके बाद 31 दिसंबर 2928, 25 जून 2029 के बाद 25 अप्रैल 2032 में देखने को मिलेगा।
पितृपक्ष पर नहीं होगा सूतक का प्रभाव
वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा की रात में लगेगा। पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने, उनकी पूजा-आराधना और तर्पण-अर्पण के विधान भी उसी दिन से आरंभ होंगे। रविवार को पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाएगा। इसी दिन मातृकुल के पितरों नाना-नानी आदि का तर्पण किए जाने का विधान है। सूतक दोपहर 12:57 बजे से लग रहा है।
काशी के विद्वान पंडितों का कहना है कि श्राद्ध कर्म पर चंद्रग्रहण के सूतक का प्रभाव नहीं होता है। बीएचयू ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय कहते हैं कि इस बार खग्रास चंद्रग्रहण लग रहा है, जो पूर्ण चंद्रग्रहण से भी बड़ा होता है और चंद्रमा को पूरी तरह आच्छादित तो कर ही लेता है, खग यानी आकाश के कुछ हिस्से को भी ढक लेता है, इसलिए इसे खग्रास चंद्रग्रहण कहते हैं।