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Cyber Fraud: ऑनलाइन ठगी होने पर मिल सकता है पूरा रिफंड, अपनाएं यह तरीका 

 

Cyber Fraud Refund Tips: देश में जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी विकसित होती जा रही है वैसे-वैसे साइबर अपराध (cyber fraud) भी बढ़ते जा रहे हैं। आज हम हर दिन अखबारों में साइबर अपराध से संबंधित घटनाओं के बारे में पढ़ते रहते हैं। यदि आप भी गलती से साइबर अपराध का शिकार हो जाते हैं तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है आप इसकी शिकायत करके अपना पूरा पैसा वापस ले सकते हैं। 


साइबर धोखाधड़ी के 90 फीसदी मामलों में लोगों को पैसे वापस नहीं मिल पाते। लेकिन 10 फीसदी मामलों में पूरा रिफंड मिल सकता है, शर्त यह है कि आप समय रहते इसकी रिपोर्ट करें।

आइए जानते हैं फाइनेंशियल फ्रॉड से जुड़ी प्रक्रिया

अगर आप ठगी होने के तीन दिन के भीतर शिकायत दर्ज करा देते हैं तो बैंक 10 दिन या अधिकतम 90 दिनों के अंदर आपके पूरे पैसे लौटा देगा। वहीं 4-7 दिनों में सूचित करने पर 5 से 25 हजार रु. का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इस स्थिति में बैंक पैसा नहीं देगा वापस 

लेन-देन अगर आपकी लापरवाही की वजह से हुई है, यानी आपने अपना पासवर्ड, पिन, ओटीपी आदि किसी को बता दिया है, तो आपको तब तक नुकसान उठाना पड़ेगा जब तक आप बैंक को अनधिकृत लेनदेन की रिपोर्ट नहीं करते। बैंक यदि यह निष्कर्ष निकालता है कि आपने बैंक के द्वारा दी गई चेतावनियां पर्याप्त थीं और आपने उन्हें नजरअंदाज कर दिया। इस लापरवाही की स्थिति में बैंक पैसे मिलने की संभावना काफी कम हो जाती है।


फ्रॉड का शिकार होने पर तुरंत करें ये काम

फौरन साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) और पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें। ठगी बैंक अकाउंट या कार्ड से संबंधित होने पर बैंक को सूचित करें।

संदिग्ध ईमेल, मैसेज, कॉल के स्क्रीनशॉट्स, ट्रांजेक्शन रसीद और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सेव करें। किसी भी स्थिति में पैसा ट्रांसफर करने से बचें।

फाइनेंशियल फ्रॉड से संबंधित कानून/धाराएं

आईटी एक्ट 2000 : इसके तहत साइबर ठगी, डेटा चोरी आदि शामिल हैं। इसके आधार पर धारा 66C, 66D, 43, 43A, 72A और धारा 74 के अंतर्गत कार्रवाई की जाती है।

कंपनी एक्ट, 2013: इसकी धारा 36 और धारा 448 के तहत कार्रवाई की जाती है।

बीएनएस 2023: इसमें धारा 318, 320 और 111 का प्रावधान है।