Mutual Fund में निवेश से पहले Expense Ratio समझना क्यों है जरूरी
Mutual Funds: जो लोग शेयर बाजार की उतार-चढ़ाव भरी दुनिया से बचना चाहते हैं, वे अक्सर म्यूचुअल फंड को एक सुरक्षित विकल्प मानते हैं। यहां निवेश की ज़िम्मेदारी अनुभवी फंड मैनेजर्स पर होती है, जो रिसर्च और रणनीति के साथ पैसा लगाते हैं। लेकिन इस सुविधा के बदले म्यूचुअल फंड कंपनियां एक चार्ज लेती हैं, जिसे Expense Ratio कहा जाता है।
Expense Ratio असल में फंड को चलाने में आने वाला सालाना खर्च होता है, जो कुल निवेश राशि यानी AUM (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट) का एक प्रतिशत होता है। इसमें फंड मैनेजर की फीस, मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और अन्य प्रशासनिक खर्च शामिल होते हैं।
यह रेशियो सीधे आपके रिटर्न को प्रभावित करता है। जितना ज्यादा खर्च, उतना कम मुनाफा। खासतौर पर लंबी अवधि में यह अंतर और ज्यादा महसूस होता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी फंड ने 10% का रिटर्न दिया और उसका एक्सपेंस रेशियो 1.5% है, तो आपको सिर्फ 8.5% का ही फायदा होगा।
सभी म्यूचुअल फंड स्कीम का Expense Ratio अलग होता है। यह फंड के आकार और ऑपरेशनल खर्चों पर निर्भर करता है और समय-समय पर बदल सकता है। आमतौर पर, 0.5% से 0.75% तक के रेशियो को अच्छा माना जाता है, जबकि 1.5% से ऊपर के रेशियो को महंगा माना जाता है।
निवेश से पहले Expense Ratio को जरूर जांचें, ताकि आपको यह पता हो कि आपकी कमाई में से कितना हिस्सा खर्च में कट जाएगा।