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आजादी के बाद भी नहीं बदली ये हकीकत, विदेशी कंपनी के पास है भारत की खास रेलवे लाइन

 

Indian Railways: भारत को आज़ाद हुए 78 साल हो चुके हैं। इस दौरान भारतीय रेलवे ने लंबी दूरी तय की है। देश के कोने-कोने तक रेलवे नेटवर्क पहुंच चुका है और अब बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारियां भी जारी हैं। लेकिन इसी तरक्की के बीच आज भी देश में एक रेलवे लाइन है, जो पूरी तरह से भारतीय रेलवे के अधीन नहीं है। यह लाइन अब भी एक ब्रिटिश कंपनी के नियंत्रण में है और सरकार को इसके लिए हर साल भुगतान करना पड़ता है।

शकुंतला रेलवे लाइन

यह रेलवे लाइन महाराष्ट्र में यवतमाल और अचलपुर के बीच लगभग 190 किलोमीटर तक फैली हुई है। इसे 20वीं सदी की शुरुआत में किलिक निक्सन एंड कंपनी ने बनवाया था। इसका मुख्य उद्देश्य अमरावती से कपास को मुंबई बंदरगाह तक पहुंचाना था। 1951 में अधिकतर निजी रेल लाइनों का राष्ट्रीयकरण हो गया था, लेकिन यह ट्रैक ब्रिटिश स्वामित्व में ही रह गया।

स्थानीय लोगों की जीवनरेखा

कई दशकों तक इस ट्रैक पर “शकुंतला पैसेंजर” नाम की ट्रेन चलती थी। यह करीब 190 किमी की दूरी 20 घंटे में पूरी करती थी और 17 छोटे स्टेशनों पर रुकती थी। स्थानीय लोगों के लिए यह ट्रेन बेहद जरूरी थी, लेकिन फिलहाल सेवा बंद है और लोग इसके पुनः शुरू होने की मांग कर रहे हैं।

इंजन और रखरखाव

शुरुआत में इस ट्रैक पर स्टीम इंजन चलते थे जिन्हें बाद में डीज़ल इंजन ने बदल दिया। दिलचस्प बात यह है कि आज भी कंपनी को इस लाइन के लिए रॉयल्टी मिलती है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार पहले हर साल लगभग 1.2 करोड़ रुपये देती थी। हालांकि, रखरखाव पर ध्यान न दिए जाने की वजह से ट्रैक की हालत बिगड़ गई।

भारतीय रेलवे ने इस ट्रैक को अपने अधीन लेने की कोशिश की है, लेकिन समझौता अब तक नहीं हो पाया है। बताया जाता है कि रॉयल्टी का भुगतान अब बंद हो चुका है, मगर स्वामित्व और भविष्य के संचालन को लेकर चर्चा अभी भी जारी है।