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पेट्रोल-डीजल के रेट में आ सकती है कमी, या सरकार बढ़ाएगी एक्साइज ड्यूटी

पेट्रोल-डीजल के रेट में आ सकती है कमी, या सरकार बढ़ाएगी एक्साइज ड्यूटी
 

 सरकार ने अभी दो दिन पहले ही पेट्रोल-डीजल पर दो रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी को बढ़ाया था। यह एक्साइज ड्यूटी तेल कंपनियों पर लगाई गई है। इसका असर आम आदमी को मिलने वाले तेल पर नहीं होगा। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल कीमतों में कमी आई है। यदि दो-तीन महीने कच्चे तेल की कीमत 60-65 डॉलर प्रति बैरल पर बनी रही तो संभव की पेट्रोल-डीजल के दामों में कुछ कमी आ जाए या फिर सरकार फिर से एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दे। मंगलवार तक कच्चे तेल की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रही। 


कच्चे तेल की कीमतों में कमी के कारण सरकार ने दो रुपये प्रति लीटर की जो एक्साइज ड्यूटी लगाई थी, वह अंतिम नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी लगातार जारी है। विशेषज्ञ शोध एजेंसियां बताती हैं कि गिरावट का यह सिलसिला जारी रह सकता है। ऐसे में यह दो रुपये की एक्साइज ड्यूटी कुछ भी नहीं है। सरकार उत्पाद शुल्क में और वृद्धि कर सकती है। सरकारी तेल कंपनियां अभी भी एलपीजी की बिक्री लागत से कम कीमत पर कर रही हैं। उज्ज्वला ग्राहकों को यह 475 रुपये प्रति सिलेंडर तथा अन्य ग्राहकों को 175 रुपये प्रति सिलेंडर कम में बेच रही हैं। पहले भी सरकार कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने पर उत्पाद शुल्क बढ़ा चुकी है। ऐसे में यह बोझ आम लोगों पर नहीं पड़ा ब​ल्कि सरकार ने कंपनियों पर उत्पाद शुल्क लगाकर अपना राजस्व काफी बढ़ाया है। 


खुदरा कीमतों में कमी की संभावना
सोध एजेंसियों की तरफ से अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले दो-तीन महीनों में कच्चे तेल की कीमतें 60-65 डॉलर प्रति बैरल पर बनी रही तो आम आदमी को इस लाभ मिल सकता है। तेल कंपनियां खुदरा कीमतों में कमी कर सकती हैं। अभी तक तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल पर औसतन 12 रुपये प्रति लीटर का मार्जिन बचा रही हैं। इसका मतलब है कि तेल कंपनियां अभी भी एक लीटर पेट्रोल बनाने और उसकी लागत को घटाने के बाद भी इसकी बिक्री से 12 रुपये प्रति लीटर का लाभ कमा रही हैं। यह काफी समय से चल रहा है। यदि हम पिछले वित्त वर्ष 2024-25 की बात करें तो अ​धिकांश महीनों में कच्चे तेल की कीमत काफी कम रही। अप्रैल 2024 से लेकर जुलाई तक भारत में कच्चे तेल की लागत 83 से 89 डॉलर प्रति बैरल रही। उसके बाद इसकी कीमतों में लगातार कमी आ रही है। इससे साफ है कि तेल कंपनियों ने अभी तक काफी मुनाफा कमाया है। वहीं रसाई गैस पर स​ब्सिडी देने के कारण उसके ग​णित पर कुछ असर पड़ा है। 


48 हजार करोड़ रुपये का घाटा
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि एलपीजी पर स​ब्सिडी के कारण तेल कंपनियों को अब तक 48 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। एलपीजी को लागत से काफी कम कीमत पर बेचा जाता है। इसके एक बड़े हिस्से की भरपाई सरकार बढ़े हुए उत्पाद शुल्क से करेगी। जेएम फाइनें​शिएल रिपोर्ट के अनुसार रसोई गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ाने के बाद भी चालू वित्त वर्ष में 20 से 30 हजार करोड़ रुपये का घाटा तेल कंपनियों को होने की उम्मीद है। इस घाटे की भरपाई के लिए तेल कंपनियाें को पेट्रोल और डीजल पर 7 रुपये 30 पैसे से लेकर 10 रुपये 50 पैसे प्रति लीटर का मार्जिन बनाकर रखना होगा।