price crude oil : कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट आती जा रही है। इसका फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को मिल रहा है, क्योंकि भारत कच्चा तेल आयात करता है। यदि हम एक महीने की बात करें तो इस दौरान कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की कमी आई है। वैश्विक अनिश्चचतता के कारण कच्चे तेल की कीमतें अपने चार साल के सबसे निम्न स्तर पर पहुंच गई हैं। इस समय कच्चे तेल की कीमत 62 डाॅलर प्रति बैरल चल रही हैं। यदि इस समय भारत-पाकिस्तान का युद्ध होता है तो इन कीमतों का भारत को बहुत बड़ा लाभ होगा। भारत में खासकर कच्चे तेल की कीमतें भारतीय जीडीपी को प्रभावित करती हैं, जो हमारे विकास से जुड़ा हुआ है। भारत अपने पूरे आयात का 25 प्रतिशत हिस्सा अकेले पेट्रोलियम पदार्थों पर खर्च करता है। वित्तवर्ष 2024-25 में भारत ने 185 डॉलर का पेट्रोलियम आयात किया था। भारत का कुल वस्तु आयात 720 अरब डॉलर है। इससे पहले वर्ष 2023-24 में भारत का पेट्रोलियम आयात 178 अरब डॉलर था।
भारत के आयात बिल में आ रही कमी
कच्चे तेल की कीमत कम होने भारत को काफी लाभ हो रहा है। पिछले वितवर्ष में कच्चे तेल की कीमत 71-85 डॉलर प्रति बैरल पर थी। इस हिसाब से चालू वित्तवर्ष 2025-26 में पेट्रोलियम आयात बिल में कमी आना तय है। इससे भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूती मिल रही है। इसके अलावा भारतीय रुपया भी मजबूत होगा।
तेल उत्पाद कर में हो सकती है बढ़ोतरी
कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से सरकार एक बार फिर से पेट्रोलियम उत्पाद कर बढ़ा सकती है। पिछले महीने भी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर दो-दो रुपये कर उत्पाद कर लगाया था। अब 62 डॉलर प्रति बैरल की कच्चे तेल की कीमत को देखते हुए एक बार फिर सरकार उत्पाद कर में बढ़ोतरी कर सकती है। इससे लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा बल्कि यह उत्पाद कर पेट्रोलियम कंपनियों पर लगाया जाएगा। इससे सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। इस कर से सरकार के राजस्व में सालाना 1600 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होती है।


