Movie prime

Garlic Rate Hike: सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने किसानों को किया मालामाल, एक ही दिन में लहसुन के रेट 2000 रूपये क्विंटल बढ़े

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने किसानों को किया मालामाल, एक ही दिन में लहसुन के रेट 2000 रूपये क्विंटल बढ़े
 

Garlic Rate Hike Update: देश में लहसुन उत्पादक किसानों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बड़ी राहत दी है। किसानों का कहना है कि आढ़त के चलते उन्हें मंडियों में प्रतिस्पर्धात्मक भाव नहीं मिल पा रहे थे। आढ़त प्रथा से लहसुन बेचने पर पैसे डूबने का भय रहता है जबकि मंडी में सरकारी नीलामी में हिस्सा लेने से पैसे की सुरक्षा रहती है। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट में किसानों के पक्ष में बड़ा फैसला लिया है।

फैसले के अगले दिन किसानों को तकरीबन 2000 रुपए प्रति क्विंटल का फायदा हुआ। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मप्र के लहसुन की खेती करने वाले किसानों और लहसुन का उपयोग करने वाले करोड़ों लोगों को बड़ी राहत दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने लहसुन पर आढ़त को गलत माना है। न्यायालय की पीठ ने तत्काल प्रभाव से लहसुन पर आढ़त को खत्म करने का आदेश जारी कर दिया है। बताया जा रहा है कि आढ़त की आढ़ में रोजाना लगभग दो करोड़ रुपए का खेल हो रहा था।

भोपाल कृषि उपज के पूर्व मंडी अध्यक्ष और कृषक भागीरथ पाटीदार कहते हैं कि सरकारी नीलामी पर किसानों को भरोसा रहता है। पैसे डूबने का डर नहीं रहता है। लहसुन खरीदने वाला आढ़तिया यदि किसी प्रकार से किसान को पैसे देने में आनाकानी करें तो मंडी समिति की जवाबदारी हो जाती है। किसान कड़ी मेहनत करके फसल का उत्पादन करता है। एक अन्य कृषक अजय पाटीदार का कहना है कि हालांकि आढ़तियों से भी रजिस्टर्ड व्यापारियों की तरह धरोहर राशि मंडी समिति में जमा होना चाहिए। हालांकि उनका मानना है कि आढ़त प्रथा से किसानों को कई बार ऊंचे भाव पर माल बिक जाता है।
 
संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरुप मंत्री, बबलू जाधव, चंदन सिंह बड़वाया, शैलेन्द्र पटेल आदि ने न्यायालय के निर्णय को किसान हितैषी बताते हुए कहा कि इससे किसानों की उपज का सही मूल्य मिलेगा।

ऊंचे भाव पर लहसुन की नीलामी
कृषि उपज मंडियों में न्यायालय के फैसले के अगले ही दिन सरकारी नीलामी में लहसुन के भाव बढ़ गए। यानी ऊंचे भाव पर लहसुन की नीलामी की गई। इससे किसानों को फायदा मिला। मंडी के सहायक उपनिरीक्षक जीवन सिंह राजपूत ने बताया कि भोपाल मंडी में पहले से ही लहसुन की नीलामी मंडी समिति की तरफ से की जा रही है।

254 कृषि उपज मंडियां है राज्य में

मध्यप्रदेश की 254 मंडियां संचालित होती है। इनमें से करीब आधा दर्जन मंडियों (लहसुन उत्पादक क्षेत्र) में ही लहसुन पर आढ़त ली जाती है। दरअसल किसान लहसुन बेचने के लिए मंडी में आता है तो व्यापारी माल खरीदने के बाद उसे खेरची व्यापारियों को बेचते हैं, जिस पर वे बिक्री राशि का 5 फीसदी आढ़त के रुप में वसूलते हैं। इंदौर मंडी में ही लगभग 2 करोड़ रुपए रोजाना आढ़त के रूप में वसूल लिए जाते थे।

आम आदमी को मिलता था महंगा

आढ़त की 5 फीसदी राशि खेरची व्यापारी से थोक व्यापारी लेते थे, जिसके चलते उसकी लागत बढ़ जाती थी। ऐसे में खेरची व्यापारी आम लोगों को 5 फीसदी ज्यादा लागत के हिसाब से लहसुन की बिक्री करते थे। ऐसे में आम जनता को इसके लिए ज्यादा कीमत चुकाना पड़ती थी।