Movie prime

तुवर उत्पादकों को झटका, पूरे वर्ष लंबी तेजी के आसार नहीं

 

 तुवर में दाल मिलों की मांग अनुकूल नहीं होने से धीरे-धीरे मंदे का रुख बना हुआ है, म्यांमार में जिस तरह फसल बताई जा रही है तथा प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बैठ रही है, उसे देखते हुए पूरे वर्ष लंबी तेजी के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं, बल्कि इसी लाइन पर 200/300 रुपए की और गिरावट लग रही है। 

तुवर की घरेलू फसल रबी एवं खरीफ दोनों ही सीजन में आई हुई गत वर्ष की तुलना में 32-33 प्रतिशत अधिक है। इसके अलावा जो पूरे वर्ष म्यांमार, तुअर का निर्यात करता है, जिसके लिए सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार भारत है, उसके पड़ते लगातार लग रहे हैं तथा चेन्नई से आयातक निरंतर बिकवाल आ रहे हैं। 

वहां हाल ही में बाजार 25 डॉलर प्रति टन घटकर 745 डॉलर सीएनएफ रह गया है। इस वजह से चेन्नई में भी 3 दिन के अंतराल 200 रुपए टूटकर गोदाम के माल 6125 रुपए तथा कंटेनर के 6175 रुपए रह गए हैं, इधर दाल की बिक्री साथ नहीं दे रही है। पिछले दिनों ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत अगले डेढ़-दो महीने तक के लिए तुवर दाल की बिक्री हो चुकी है। इधर

मटर ऊपर के भाव में 6/7 रुपए किलो की गिरावट आ गई है तथा तुवर की दाल दाल बिकनी बंद हो गई है। पूर्वी यूपी बिहार बंगाल असम झारखंड एवं उड़ीसा में मटर की दाल 40-50 प्रतिशत खप रही है, जो वहां

के उपभोक्ताओं को मिलने से उसी का चलन बढ़ गया है तथा तुवर दाल में केवल लोकल बिक्री रह गई है। वास्तविकता यह है कि हाथरस लाइन की दाल यूपी उत्तरांचल में 6 7 रुपए किलो सस्ती बिक रही है तथा कटनी लाइन की तुवर भी पूर्वी भारत में पड़ते में जा रही है।

 आगे के सौदे भी रंगून से सस्ते मिल रहे हैं, इन परिस्थितियों में तेजी का व्यापार बिल्कुल नहीं करना चाहिए तथा अभी इसमें और मंदे के आसार बन गए हैं। तुवर दाल में चालानी मांग आगे और कमजोर रहेगी। यहां भी तुवर के भाव ग्राहकी के अभाव में बीते माह के अंतराल 700 रुपए घटकर 6650 रुपए प्रति क्विंटल हाजिर कंटेनर के रह गए हैं तथा ऐसा

आभास हो रहा है कि इस बार तुवर 6400 रुपए नीचे में बन सकती है। यह वर्ष 2023-24 में 12100 रुपए प्रति क्विंटल तक लेमन क्वालिटी की बिक गई थी, उसके बाद लगातार मंदे का रुख बना हुआ है। तुवर की चारों तरफ फसल बढ़िया आई है। 

गत वर्ष देश में जो तुवर का उत्पादन 36-37 लाख मीट्रिक टन रह गया था, वह इस बार 52-53 लाख मीट्रिक टन होने का ताजा अनुमान आ रहा है, क्योंकि कटनी हाथरस वाले भी लगातार अभी लोकल तुवर ही चला रहे हैं। उधर नगर उटारी पलामू डाल्टनगंज गढ़वा लाइन में भी इस बार तुवर की फसल बढ़िया आई है, जो पटना मुजफ्फरपुर, गया, बोकारो, धनबाद की पूर्ति कर रहा है।