मुद्राओं में आपसी प्रतिस्पर्धा से रुपये में उथल-पुथल, आगे अपनाएं ये रणनीति
बीते मई महीने के दौरान कई ऐसी घटनाएं घटित हुईं, जिसमें 7 मई से शुरू हुआ भारत-पाकिस्तान (आतंकिस्तान) युद्ध, फिर युद्धविराम के बाद चीन का अमेरिका से ट्रेड टेरिफ पर घटाने को लेकर चर्चा, इसी बीच भारतीय वित्त बाजारों में पूरे महीने घट-बढ़ बना रहना,
भारतीय मुद्रा बाजार में उथल-पुथल बने रहना, विदेशी मुद्राओं की कन्वर्ट खरीद-फरोख्त एवं आरबीआई की डॉलर बिकवाली के बाद रुपए सुधरा भी, लेकिन अंतिम सप्ताह में रुपये की पूछताछ कम बताई गयी। 2 जून को रुपया, डॉलर की अपेक्षा 85.40/85.42 प्रति डॉलर पर कारोबार करते देखा गया था।
अमेरिका की रेसपीप्रोकल टेरिफ में छूट के बाद से भारतीय वित्त बाजारों में विदेशी निवेश बढ़ने की संभावना से रुपये व अन्य विदेशी मुद्राओं के मध्य प्रतिस्पर्धात्मक व्यापार बना रहा, जबकि अमेरिका के वित्त बाजारों सहित यूरोपीयन एवं एशियाई वित्तीय बाजारों में टेरिफ को लेकर भारी बिकवाली से बाजारों में मंदा छा गया था,
एक-एक दिन में वित्तीय इंडैक्स में भारी गिरावट आ गयी थी। उस समय भारतीय मुद्रा सहित विदेशी मुद्राओं में भारी उथल-पुथल देखी गयी, जिसमें मीडिया सूत्रों का कहना है कि उक्त मुद्राओं में भारी प्रतिस्पर्धा बनने लगी, क्योंकि मुद्राओं में गिरावट के चलते जिसकी पूछ मार्केट में बनी थी उसमें कन्वर्ट करने में लिवाली बढ़ गयी।
हालांकि कुछ समय बाद ट्रंप प्रशासन द्वारा सभी देशों को टेरिफ छूट राहत 90 दिनों के लिए दी गयी, जहां चीन को मई महीने में भारत व पाकिस्तान के युद्धविराम में ही ट्रंप द्वारा आयात शुल्क घटाकर कुल अमेरिका में आयातित वस्तुओं पर 30 प्रतिशत कर दिये जाने की खबरें आ रही हैं।
वहीं अमेरिका व चीन के बीच टेरिफ वार्ता से कुछ समय पूर्व ही भारत में आतंकी घटना को लेकर भारत-आतंकिस्तान के बीच युद्ध की घोषणा हो गयी तथा तीन दिन युद्ध भी चला और ट्रंप की मध्यस्था के बाद युद्ध विराम भी हुआ। इस युद्ध के बीच में ही आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को 8500 करोड़ रुपए की सहायता राशि दी गयी थी, तभी चीन व अमेरिका के मध्य टेरिफ वार्ता भी चली।
उक्त कारणों के चलते भारतीय व पाकिस्तानी शेयर बाजारों में घरेलू व विदेशी निवेश घट गया था। वहीं अमेरिका में टेरिफ बढ़ाने को लेकर वहां के उद्योग और अन्य देशों में स्थित हैं टेरिफ को लेकर चिंता जताई गयी। इसी बीच
अमेरिका मुद्रा डॉलर, जो अन्य मुद्राएं जिसमें भारतीय रुपया, जर्मनी की यूरो मुद्रा एवं ब्रिटेन की पौंड एवं चीन की यूआन सहित जापानी येन के सामने सुस्ती में दिखाई दी, हालांकि सभी मुद्राओं में प्रतिस्पर्धा पैदा हो गयी थी, जिससे कन्वर्टेशन तेज होने की खबरें आईं।
बताया गया कि भारत व पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम होने से भारतीय वित्त बाजारों में निवेश बढ़ने की चाहत पैदा होने के समाचारों से मई अंतिम सप्ताह में रुपये की पूछताछ में कमी की संभावना जताई गयी, मुख्य कारण भारतीय शेयर बाजार में तेजी कम, मंदा अधिक देखा गया,
जिससे चालू सप्ताहारम्भ 2 जून 2025 को चलते कारोबार में डॉलर की अपेक्षा रुपया 85.40/85.42 प्रति डॉलर पर खबर लिखे जाने के समय कारोबार करते देखा गया। अप्रैल महीने की खुदरा महंगाई भी सरकार के अनुकूल बताई गयी। इससे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर बिक्री करके रुपये में सुधार हुआ और अन्य मुद्राओं पौंड व यूरो में डॉलर की बिक्री कन्वर्ट करके रुपये को मजबूती समर्थन ज्यादा समय नहीं टिक पाया।