repo rate :आरबीआई करेगा रेपो रेट कम, होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन होंगे सस्ते!
repo rate:अगर लोन लेने की तैयारी कर रहे है तो यह समाचार आप के लिए है, आरबीआई रेप रेट फिर से घटने वाला है, इससे ब्याज दर भी कम हो जाएगी। लोगों को होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन सस्ता होने वाला है।
भारतीय रिजर्व बैंक लगातार कम होती महंगाई के कारण ब्याज दरों को आक्रामक रूप से कम कर सकता है। इसके साथ ही मौद्रिक नीति के रुख को मार्च 2026 तक 'न्यूट्रल' से हटाकर और नरम किया जा सकता है। सोमवार 5 मई को जारी हुई एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
रिपोर्ट में बताया गया कि बेस्ट केस सिनेरियो में अगर महंगाई दर 3 प्रतिशत के नीचे लगातार तीन महीने तक रहती है तो वित्त वर्ष 26 तक रेपो रेट में संचयी तौर पर 1.25 प्रतिशत से लेकर 1.50 प्रतिशत की कटौती देखने को मिल सकती है।
गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक ने फरवरी 2025 में रेपो रेट में कटौती करना शुरू किया था, तब से आरबीआई ब्याज दरों को 0.50 प्रतिशत घटा चुका है।
एनबीएफसी को कर्ज देने से बैंकों ने खींचे हाथ
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण देने में बैंक सतर्क रुख अपना रहे हैं। ऐसे ऋणों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते 1 अप्रेल को ही जोखिम भार कम कर दिया था, बावजूद इसके बैंक सतर्क हैं। हालांकि, बेहतरीन रैंकिंग वाली एनबीएफसी को बैंकों से ऋण मिलने में परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन मध्यम और छोटी कंपनियों को इसे हासिल करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मध्यम आकार की एक एनबीएफसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मध्यम और छोटी एनबीएफसी और एमएफआई के लिए स्थिति में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। बेहतरीन रैंकिंग वाली एनबीएफसी को जोखिम भार में हुए बदलाव का काफी फायदा मिलेगा। हमारी जैसी मझोली एनबीएफसी को कोई फायदा नहीं मिलेगा। ऋण देने में बैंक अभी भी काफी सतर्क हैं। नवंबर 2023 में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंक ऋण के लिए जोखिम भार बढ़ने से इस क्षेत्र को ऋण जुटाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। 21 मार्च, 2025 तक एनबीएफसी को मिलने वाले ऋण की वृद्धि एक साल पहले के 15.3 फीसदी वृद्धि मुकाबले 5.7 फीसदी कम होकर 16.36 लाख करोड़ रुपए रह गई थी। समग्र क्षेत्र के प्रदर्शन के कारण बैंक अब गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और लघु वित्त संस्थाओं को ऋण देने में कम से कम दो तिमाहियों तक सतर्कता बरतेंगे। लघु ऋण क्षेत्र में सख्ती के कारण लघु वित्त पोर्टफोलियो में गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले साल दिसंबर के अंत तक 4 फीसदी रह कर 3.91 लाख करोड़ रुपए हो गई