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RBI ने घटाया खुदरा महंगाई का अनुमान, अब 3.7%,  जानिए इसके पीछे की वजहें

 

RBI Inflation Forecast 2025: भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती करने के साथ महंगाई का अनुमान (Retail inflation rate India) भी घटाया है। इसने कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा महंगाई 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। केंद्रीय बैंक का पुराना अनुमान चार प्रतिशत का था। हाल के वर्षों में पहली बार होगा जब सालाना महंगाई चार प्रतिशत से कम होगी।

आरबीआई ने क्यों घटाया महंगाई का अनुमान
आरबीआई के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमोडिटी के दाम कम होने के कारण महंगाई नीची रहने की उम्मीद है। हालांकि उसने यह भी कहा है कि मौसम की अनिश्चितता पर उसकी नजर रहेगी। टैरिफ को लेकर अनिश्चितता तथा ग्लोबल कमोडिटी कीमतों पर उसके असर को भी केंद्रीय बैंक करीब से दिखेगा।

मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि रबी सीजन में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन और दालों के उत्पादन में वृद्धि से प्रमुख खाद्य पदार्थों की सप्लाई पर्याप्त बनी रहने की उम्मीद है। सामान्य से अधिक मानसून की उम्मीद को देखते हुए खरीफ फसलों का उत्पादन भी बेहतर रहने के आसार हैं। मल्होत्रा ने कहा कि महंगाई में गिरावट का ट्रेंड है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में। आगे ज्यादातर अनुमान क्रूड ऑयल समेत प्रमुख कमोडिटी के दाम में गिरावट का संकेत दे रहे हैं।

किस तिमाही में कितनी रहेगी महंगाई
मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि इस वर्ष मानसून सामान्य रहने की उम्मीद है। इसलिए अप्रैल से जून तिमाही में खुदरा महंगाई 2.9%, जुलाई से सितंबर तिमाही में 3.4% रहने के आसार हैं। आगे इसमें थोड़ी और बढ़ोतरी होगी। अक्टूबर से दिसंबर तिमाही में महंगाई 3.9% और जनवरी से मार्च तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने के आशा है। इस तरह पूरे साल में खुदरा महंगाई 3.7% रहेगी। अप्रैल में खुदरा महंगाई 3.16 प्रतिशत थी जो 6 वर्षों में सबसे कम है। अप्रैल की समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने इस वर्ष से चार प्रतिशत महंगाई का अनुमान जताया था।

खुदरा महंगाई कम रहने के तीन कारण
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्म कीर्ति जोशी ने कहा कि तीन कारणों से खुदरा महंगाई मौजूदा वित्त वर्ष में कम रहेगी। कच्चा तेल तथा अन्य कमोडिटी के दाम कम होने का मतलब है कि आयातित महंगाई का जोखिम कम रहेगा। क्रूड ऑयल के दाम पिछले वित्त वर्ष के 78.5 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में इस वर्ष 65 डॉलर प्रति बैरल रहने के आसार हैं।

मानसून की बारिश उम्मीद के मुताबिक रही तो महंगाई में गिरावट लंबे समय तक रह सकती है। बेहतर उत्पादन और तय मानक से अधिक बफर स्टॉक के कारण खाद्यान्न के दाम नियंत्रित रहेंगे। हालांकि कृषि में जलवायु से संबंधित जोखिम बरकरार है, खासकर सब्जियों के मामले में। आर्थिक वृद्धि दर अधिक न होने के कारण अत्यधिक डिमांड से कोर महंगाई बढ़ने का जोखिम भी काम रहेगा।