आरबीआई ने चेक भुगतान की प्रक्रिया में किया बड़ा बदलाव, अब कुछ ही समय में होगा क्लियर
आरबीआई(RBI) ने चेक भुगतान प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है। अब बैंक में चेक जमा करने के बाद कई दिनों तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। भारतीय रिजर्व बैंक(INDIAN RESERVE BANK) ने एक नई व्यवस्था लागू करने का ऐलान किया है। जिसके तहत 4 अक्टूबर 2025 से चेक कुछ ही समय में क्लियर हो जाएंगे।
यह सुविधा होगी पूरे भारत में लागू
अभी चेक ट्रांजैक्शन सिस्टम(CHECK TRANSACTION SYSTEM) के तहत चेक क्लियर( cheque clear )में 24 से 48 घंटे का समय लग जाता है । बैंक चेक(Bank cheque) को दिन में एक तय समय पर बेंच में प्रक्रिया करते हैं जिससे भुगतान में समय लगता है।
चेक(cheque) के नए नियम में क्या होंगे बदलाव( RBI new rule)
भारतीय रिजर्व बैंक (India reserve Bank)अब निरंतर समांशोधन और प्राप्ति पर निपटान प्रणाली लागू करने जा रही है। इसका मतलब यह है कि चेक जमा होते ही स्कैन करके इसे तुरंत क्लीयरिंग हाउस भेज दिए जाएंगे और दिन भर लगातार प्रक्रिया होगी।
पहले चेक क्लीयरिंग का समय T+1 दिन था, परंतु अब यह घटकर कुछ घंटे पर आ जाएगा। इसके साथ ही चेक क्लीयरिंग(cheque clearing) का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक रहेगा जबकि चेक प्राप्त करने वाला बैंक के समय में यह पुष्टि करेगा कि चेक पास हुआ या बाउंस हो चुका है।
यह नया नियम दो चरणों में होगा लागू
पहले चरण : 4 अक्टूबर 2025 से 2 जनवरी 2026 तक बैंकों को शाम 7:00 बजे तक चेक की स्थिति पास या बाउंस क्लियर करना होगा। वहीं अगर बैंक जवाब नहीं देता है . तो चेक को ऑटोमेटिक पास माना जाएगा और भुगतान किया जाएगा।
दूसरा चरण : 3 जनवरी 2026 से हर चेक को जमा होने के 3 घंटे के अंदर पास या बाउंस का कंफर्म करना होगा। उदाहरण के लिए अगर 10 से 11:00 के बीच चेक जमा किया जाता है तो बैंक को 2:00 बजे तक इसका जवाब देना होगा। 3 घंटे में जवाब नहीं दिया जाता है तो चेक को पास मानकर भुगतान करना होगा।
ग्राहक को कितने समय में मिलेगा चेक का पैसा
जैसे ही बैंक चेक को पास करेगा और सेटलमेंट पूरा होगा 1 घंटे के अंदर ग्रहक के खाते में पैसा आ जाएगा. अगर चेक बाउंस रहता है तो यह जानकारी भी तुरंत मिलेगी।
इस नए नियम को लेकर आरबीआई (RBI)का उद्देश्य
चेक क्लीयरिंग की इस नई प्रक्रिया का उद्देश्य चेक क्लीयरिंग की सिस्टम को गति देना है। बैंक और ग्राहकों दोनों के लिए यह सुविधाजनक होगा , इसके साथ ही फंड्स ट्रांसफर में होने वाली देरी को खत्म करने के साथ-साथ धोखाधड़ी और सेंट्लमेंट रिस्क को भी कम करना है।