मूंग के भाव होंगे धड़ाम, मंदे की संभावना प्रबल हुई
मूंग की फसल एमपी यूपी की आने लगी है, जिससे राजस्थान की मूंग का दूर दूर तकलीवाल गायब हो गया है। यूपी के नए माल काफी मंदे भाव में बिकने से राजस्थानी भी एक बार फिर निचले स्तर पर आ गए हैं।
वहीं महाराष्ट्र के परभणी औरंगाबाद लाइन में टेंडर वाले माल को दाल मिलें सस्ते भाव में मिलिंग कर रही हैं, जिससे उत्तर भारत की मिलों का व्यापार चालानी में घट गया है। इन परिस्थितियों में मूंग में अभी 400/500 रुपए और घट सकती है।
इस बार खरीफ सीजन से ही राजस्थान में मूंग की फसल बहुत बढ़िया आई थी। दूसरी ओर मध्य प्रदेश की मूंग केंद्रीय पूल की टेंडर में बेच गया है, जिससे पूरी तरह मंदे का दलदल बन गया था।
वहां की नई मूंग का प्रेशर बनते ही सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य से खरीद करने से पीछे हट गयी, क्योंकि उसमें कुछ नुकसानदायक केमिकल की खबर आ गई। जिस कारण मध्य प्रदेश की मूंग आ ही रही थी, उसके बाद कानपुर लाइन की मूंग तेजी से
आने लगी है तथा वहां भी फसल बहुत बढ़िया है। वहां की मंडियों में क्वालिटी के अनुसार 6000/6400 रुपए प्रति क्विंटल लूज में व्यापार हो रहा है। दिल्ली पहुंच में 6300/6800 रुपए बढ़िया माल बोलने लगे हैं तथा इन भावों में भी कोई व्यापार नहीं हुआ।
यही वजह है कि बढ़िया मूंग जो 7300/7400 रुपए एमपी राजस्थान की बिक रही थी, उसके भाव गिरकर 7000/7200 रुपए प्रति क्विंटल के बीच वर्तमान में रह गए हैं तथा इन भावों में भी दाल मिलें खरीद नहीं कर रही है, क्योंकि छिलका एवं धोया की बिक्री पूरी तरह से ठंडी पड़ गई है तथा ऊपर से बिहार झारखंड की मूंग तैयार खड़ी है। वहां भी कटाई जोरों पर चल रही
है, वर्तमान में मौसम भी गर्म हो गया है, जिससे खेतों से निकासी तेजी से बढ़ गई है। राजस्थान के माल शेखावाटी किशनगढ़ केकड़ी जोधपुर बाड़मेर बीकानेर लाइन से पुराने माल मंदे में आ रहे हैं, क्योंकि वहां की लोकल मिलें बिक्री के अभाव में कच्चे माल खरीद कम रहे हैं।
यह बात जरूर है कि यूपी बिहार में मूंग के नीचे भाव होने से कारोबारी इस बार रुचि कम लिए थे, लेकिन फसल जो बोई गई थी, वह बहुत बढ़िया आई है। कर्नाटक की मंडियां पहले ही गर्मी वाली मूंग आने लगी है, लेकिन दिल्ली में यूपी सस्ती बिकने से उनकी मांग घट गई है। पिछले महीने दूसरे सप्ताह से स्टाकिस्टों की बिकवाली से बाजार नीचे आ गए हैं।
यहां बाजार पिछले महीने उपर के भाव पर पहुंचने के बाद 1000 रुपए प्रति क्विंटल नीचे गए हैं। वास्तविकता यह है कि दाल धोया एवं छिलका की बिक्री बहुत ही कमजोर चल रही है तथा बाजारों में रुपए की भारी तंगी चल रही है, उधर एमपी यूपी बिहार का नया माल आने लगा है, इसीलिए पुरानी मूंग औने पौने भाव में कट रही है।
अतः अब मंदे का ही व्यापार करना चाहिए। इस बार गर्मी वाली सब्जियां सस्ती बिक रही हैं, इसका भी दालों की खपत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। गत वर्ष मूंग का उत्पादन रबी व खरीफ सीजन को मिलाकर व्यापारिक अनुमान के मुताबिक 48 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ था,
लेकिन इस बार उक्त दोनों सीजन की फसलों को मिलाकर 54 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। भविष्य में जो मूंग गत दिनों 8100 रुपए राजस्थान के ऊपर में बिकी थी, उसके भाव 7100 रुपए रह गए हैं तथा अभी और घटने की गुंजाइश लग रही है।