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दो साल में विश्वकर्मा योजना से लाखों लोगों को फायदा

 

PM Vishwakarma Yojna: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को शुरू हुए दो साल हो गए हैं और सरकार ने इसका माइलस्टोन शेयर किया है। यह स्कीम पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आधुनिक उपकरण, प्रशिक्षण और वित्तीय समर्थन देने के लिए लाई गई थी ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत हो सके। आधिकारिक डेटा के अनुसार अब तक लगभग 30 लाख कारीगरों ने योजना में नाम दर्ज कराया है, जिनमें से करीब 26 लाख को कौशल सत्यापन और प्रशिक्षण मिल चुका है। आर्थिक सहायता के रूप में अब तक 4.7 लाख ऋण मंज़ूर हुए हैं जिनकी कुल राशि लगभग ₹41,188 करोड़ है। इससे स्पष्ट होता है कि योजना ने रोजगार के साथ-साथ आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा दिया है।

रजिस्ट्रेशन में सबसे बड़ी हिस्सेदारी राजमिस्त्रियों की रही है, जो दर्शाता है कि निर्माण और उससे जुड़ी पारंपरिक नौकरियाँ आज भी व्यापक लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत हैं। इसके साथ ही अब तक 23 लाख से अधिक ई-वाउचर (टूलकिट) वितरित किए गए हैं, जिनसे कारीगर नए औज़ार खरीदकर अपना काम बेहतर कर सकते हैं। योजना की शुरुआत 17 सितंबर 2023 को की गई थी और इसका समग्र बजट ₹13,000 करोड़ रखा गया है, जो वित्तीय साल 2023-24 से 2027-28 तक लागू रहेगा।

सरकार का मानना है कि यह पहल केवल रजिस्ट्रेशन तक सीमित नहीं है, बल्कि पारंपरिक हुनर को नया जीवन देने और बाज़ार से जोड़ने का प्रयास है। इसमें महिला सशक्तिकरण और हैज़र्डेड/हाशिए पर रह रहे समुदायों जैसे अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, दिव्यांगजन, ट्रांसजेंडर तथा पहाड़ी और द्वीपीय क्षेत्रों के निवासियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि लाभ समुचित रूप से पहुंचे।

दो साल में योजना ने लाखों कारीगरों तक पहुँचकर उन्हें प्रशिक्षण, उपकरण और क्रेडिट के माध्यम से सक्षम किया है। आगे लगातार निगरानी और सुधार से इसका प्रभाव और बढ़ाया जा सकता है।