कम हो रही है महंगाई, आम आदमी को मिली राहत
RBI: रिजर्व बैंक ने आम आदमी के दोनों हाथों में लड्डू थमा दिए हैं। एक तरफ तो ब्याज दरें घटाकर लोन सस्ता कर दिया और दूसरी ओर कम खर्चे का भी इंतजाम कर दिया है। लोन सस्ता होने से आम आदमी के हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे तो महंगाई दर घटने से कम खर्चे का भी मौका मिलेगा। आरबीआई ने शुक्रवार को खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी की उम्मीद से अगले वित्त वर्ष (2025-26) में खुदरा महंगाई दर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। चालू वित्तवर्ष में इसके 4.8 फीसदी के अनुमान को बरकरार रखा है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने चालू वित्तवर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि आपूर्ति के मार्चे पर किसी झटके की आशंका नहीं है। इसके साथ खरीफ की फसलों का उत्पादन बेहतर रहने, जाड़े में सब्जियों के दाम में नरमी और रबी की फसलों को लेकर अनुकूल संभावनाओं को देखते हुए खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी आनी चाहिए।
क्या होती है हाउसहोल्ड फाइनेंशियल सेविंग
दरअसल, हाउसहोल्ड फाइनेंशियल सेविंग, किसी परिवार की आय का वह हिस्सा है जिसे वर्तमान में खर्च करने के बजाय भविष्य के उपयोग के लिए अलग रखा जाता है। इस तरह की बचत में बैंक डिपॉजिट, लोन और इक्विटी इन्स्ट्रूमेंट में निवेश और बीमा पॉलिसियों जैसी फाइनेंशियल एसेट आदि आती है।
आरबीआई ने रिपोर्ट में और क्या कहा
आरबीआई की रिपोर्ट के अनसार, सकल घरेलू बचत, जीएनडीआई के हिस्से के रूप में, 2023-24 में 30.3 प्रतिशत पर स्थिर रही। इसी अवधि में घरेलू सकल वित्तीय बचत जीएनडीआई के 11.2 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो 2022-23 में 10.7 प्रतिशत थी; देनदारियाँ बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गईं।
परिणामस्वरूप, शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत 4.9 प्रतिशत से बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गई।इस रिपोर्ट में कहा गया है, "बचत-निवेश अंतर 2023-24 के दौरान कम हो गया है", इस बदलाव का कारण सरकार द्वारा कम निकासी, परिवारों और नॉन-फाइनेंशियल कॉरपोरेशन की ओर से निवेश की मांग में कमी और वित्तीय निगमों द्वारा बचत में कमी को बताया गया है।
आरबीआई ने कहा कि देश का आर्थिक माहौल सकारात्मक बना हुआ है लेकिन ग्लोबल फाइनेंशियल कंडीशन के चलते ग्रोथ को लेकर सतर्क रुख अपनाया है। वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025-26 में बाजार अमेरिकी टैरि फ नीतियों और अन्य द्वारा किए जाने वाले पारस्परिक उपायों के प्रभावों पर बारीकी से नज़र रखेंगे।
महंगाई घटती-बढ़ती क्यों है
महंगाई का सीधा रिश्ता डिमांड और सप्लाई से होता है। अगर डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम होगी, तो चीजें महंगी होंगी। अगर सप्लाई ज्यादा और डिमांड कम, तो चीजें सस्ती होंगी।