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अफ्रीकी बाज़ार में भारतीय कंपनियों का दबदबा, घटा चीन-अमेरिका का प्रभाव

 

Global Business: अफ्रीका की टू-व्हीलर मार्केट लगातार तेजी से बढ़ रही है। साल 2024 में इस बाजार का आकार लगभग 8 बिलियन डॉलर (करीब 70,500 करोड़ रुपये) था और अनुमान है कि 2030 तक यह बढ़कर करीब 11 बिलियन डॉलर (करीब 97,000 करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा। कभी अमेरिकी, यूरोपीय और चीनी कंपनियों का दबदबा रहने वाले इस सेगमेंट पर आज भारतीय ब्रांड्स ने मजबूत पकड़ बना ली है। बजाज, टीवीएस, हीरो मोटोकॉर्प और रॉयल एनफील्ड जैसी कंपनियां अब अफ्रीकी सड़कों पर छाई हुई हैं।

ताजा आंकड़े बताते हैं कि अफ्रीकी मोटरसाइकिल बाजार का 60% से ज्यादा हिस्सा भारतीय निर्माताओं के पास है। नाइजीरिया, केन्या, युगांडा, घाना और तंजानिया जैसे देशों में भारतीय टू-व्हीलर, अमेरिकी और चीनी ब्रांड्स से कई गुना ज्यादा बिक रहे हैं।

भारतीय बाइक्स की सफलता के कारण

किफायती दाम – बजाज बॉक्सर जैसी बाइक्स केवल लगभग 1,000 डॉलर में मिल जाती हैं, जबकि अमेरिकी ब्रांड्स लाखों रुपये तक महंगे हैं।

स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार डिजाइन – बजाज बॉक्सर 150, टीवीएस एचएलएक्स 125 और हीरो डॉन 125 जैसी बाइक्स खराब सड़कों और अधिक लोड को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं।

स्पेयर पार्ट्स और सर्विस नेटवर्क – भारतीय कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूशन और रिपेयर नेटवर्क को मजबूत किया, जिससे पार्ट्स आसानी से उपलब्ध होते हैं।

फ्यूल एफिशिएंसी – पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच भारतीय बाइक्स कम ईंधन खपत करती हैं।

फाइनेंसिंग विकल्प – माइक्रोफाइनेंस और बैंकों के साथ मिलकर आसान किस्तों में खरीदारी की सुविधा दी गई है।

क्यों पिछड़ गए दूसरे ब्रांड?

चीनी कंपनियां सस्ते दाम तो लाई, लेकिन क्वालिटी कमजोर रही। वहीं अमेरिकी और यूरोपीय ब्रांड्स महंगे और जरूरत से ज्यादा हाई-टेक रहे, जो अफ्रीकी उपभोक्ताओं की रोज़मर्रा की जरूरतों से मेल नहीं खाते थे।

सबसे बड़ी डिमांड कहाँ?

नाइजीरिया, केन्या, युगांडा, घाना और साउथ अफ्रीका में भारतीय बाइक्स की सबसे ज्यादा मांग है। अकेले नाइजीरिया का टू-व्हीलर मार्केट करीब 6 बिलियन डॉलर का है और हर साल लगभग 20 लाख बाइक्स बिकती हैं।

लोकल असेंबली प्लांट और रोजगार

भारतीय कंपनियां सिर्फ प्रोडक्ट बेचने तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने नाइजीरिया, केन्या, युगांडा, इथियोपिया, मिस्र, रवांडा और तंजानिया में असेंबली प्लांट और उत्पादन केंद्र लगाए। इससे बाइक्स सस्ती हुईं और 10,000 से ज्यादा स्थानीय युवाओं को रोजगार और ट्रेनिंग मिली।

इलेक्ट्रिक बाइक्स की ओर कदम

अब भारतीय कंपनियां इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर पर फोकस कर रही हैं। टीवीएस iQube और बजाज Chetak जैसे मॉडल अफ्रीका के शहरी ट्रांसपोर्ट को नई दिशा दे सकते हैं।