Movie prime

संपत्ति खरीदते समय इतने पैसे नकद दिए तो फंस जाओगे मुसीबत में, आयकर विभाग तक पहुंच रही जानकारी

 

अचल संपत्ति खरीदते समय ज्यादातर लोग टोकन मनी के रूप में नकद राशि से लेन-देन करते हैं। बाकी राशि चेक या एनईएफटी करते हैं। नकद भुगतान का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है अब अचल संपत्ति की खरीदी-बिक्री में अगर 2 लाख से ज्यादा का नकद लेन-देन करने वालों की सूचना आयकर विभाग को मिलने लगी है।

 पहले किसी को इस की जानकारी  नही होने से नगद लेनदेन का काम धड़ल्ले से जारी था। लेकिन अब जिमेदारी उप पंजीयक विभाग की हो गई इसे लेकर 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर दिए थे इसके बाद पक्षकारों ने टोकन मनी देने का सिस्टम बदल दिया है। बता दें कि हर महीने औसत 500 से अधिक रजिस्ट्री होती है, इसमें 80 फीसदी खरीदी-बिक्री में नकद राशि में लेन-देन होता है। सुप्रीम न कोर्ट के आदेश के बाद इसमें कमी आएगी।

उप पंजीयक कार्यालय में हर महीने करीब 2.50 करोड़ रुपए की रजिस्ट्री होती है। इसमें से अधिकांश कृषि भूमि की रहती है। जिसमें ज्यादातर लोग नकद में लेन-देन करते हैं। सिर्फ इंवेस्टमेंट्स करने वाले चेक से लेन-देन करते हैं।

 हालांकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही अब पक्षकार लेन-देन में नकद राशि का उपयोग करने से बच रहे हैं। बता दें कि नकद लेन-देन संबंधी कई मामले कोर्ट में पहुंचते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे मामलों में कमी आएगी। क्योंकि किसी न्यायालय में

2 लाख या उससे अधिक के नकद भुगतान का दावा किया जाता है तो अदालत को संबंधित क्षेत्र के आयकर अधिकारी को इसकी सूचना देना होती है यानी यह आदेश कैश लेस को बढ़ावा दे रहा है।

संपदा सर्वर इनकम टैक्स विभाग से मर्ज

2015 से पहले उप पंजीयक कार्यालय इनकम टैक्स विभाग को जानकारी भेजता था। 30 लाख से अधिक मूल्य के दस्तावेज होने पर उनकी रिटर्न फाइल की जाती है। अभी संपदा का सर्वर सीधे इनकम टैक्स विभाग से मर्ज कर दिया है। ऐसे में हर दस्तावेज की जानकारी सीधे इनकम टैक्स विभाग के पास जा रही है। हमें अलग से डाटा भेजने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दस्तावेजों की खरीदी-बिक्री में नकद लेन-देन कम हुआ है।

महेश कश्यप, उप पंजीयक, जावराफेक्ट फाइल