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होम लोन 60 दिन बकाया? जानिए कैसे बचाएं गिरवी रखी प्रॉपर्टी

 

Home Loan: घर सिर्फ छत नहीं, बल्कि सुरक्षा और स्थिरता का प्रतीक है। पिछले कुछ सालों में होम लोन की पहुंच बढ़ी है और अब कई लोग अपनी प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर लोन ले रहे हैं। यह उन्हें कम ब्याज दर और लंबी रीपेमेंट अवधि का फायदा देता है, लेकिन अगर EMI समय पर न भरी जाए, तो बैंक प्रॉपर्टी को जब्त कर सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Loan-to-Value (LTV) लिमिट तय की है। उदाहरण के लिए, 30 लाख तक के लोन पर बैंक प्रॉपर्टी वैल्यू का 90% तक लोन देंगे। 30-75 लाख तक 80% और 75 लाख से अधिक पर 75% तक। इसका मतलब है कि घर की कीमत के आधार पर ही अधिकतम लोन मिलेगा और परिवार को कर्ज के बोझ से बचाया जा सकेगा।

ब्याज दरें भी लोन की लागत तय करती हैं। फ्लोटिंग-रेट लोन रेपो रेट से लिंक होते हैं और फिक्स्ड-रेट लोन स्थिरता देते हैं, लेकिन महंगे पड़ते हैं। EMI की योजना बनाते समय ब्याज दर बदलने की स्थिति का ध्यान रखना जरूरी है।

होम लोन एग्रीमेंट पढ़ना बेहद जरूरी है। इसमें फ्लोटिंग लोन रीसेट, स्प्रेड, लेट पेमेंट पेनल्टी और अन्य शर्तें होती हैं। RBI ने बैंकों को अधूरी बिल्डिंग पर अपफ्रंट डिसबर्सल रोकने का निर्देश दिया है, ताकि खरीदार बिल्डर धोखाधड़ी से बच सकें।

EMI मासिक आय का 30-40% से अधिक नहीं होना चाहिए। अच्छा क्रेडिट स्कोर लोन अप्रूवल आसान बनाता है और ब्याज दर कम कर सकता है। 2012 से फ्लोटिंग-रेट लोन पर प्री-पेमेंट पेनल्टी नहीं है, जिससे लोन का हिस्सा पहले चुकाकर ब्याज कम किया जा सकता है।

इंश्योरेंस भी जरूरी है। बाढ़, आग और चोरी जैसी घटनाओं से बचाव के लिए होम और टर्म इंश्योरेंस लेना फायदेमंद है। साथ ही घर की देखभाल और मरम्मत समय पर करना भी जरूरी है, ताकि प्रॉपर्टी की वैल्यू बनी रहे और टॉप-अप या रीफाइनेंसिंग आसान हो।

अचानक आर्थिक कठिनाइयों से बचने के लिए कम से कम 3-6 महीने की EMI के बराबर इमरजेंसी फंड रखना चाहिए। SARFAESI Act, 2002 के तहत अगर लोन 60 दिन बकाया रहता है, तो बैंक प्रॉपर्टी जब्त कर सकता है। इसलिए समय पर बैंक से संपर्क करके री-स्ट्रक्चरिंग या मोरेटोरियम लेना बेहतर है।

सावधानी, अनुशासन और योजना के साथ लिया गया होम लोन आपके घर को सुरक्षा का प्रतीक बनाए रखता है, खतरे का नहीं।