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सरकार मीडियम इंटरप्राइजेज के लिए अलग पॉलिसी लाने की तैयारी, MSME मंत्रालय नीति आयोग की सिफारिश पर विचार कर रहा है

 

Policy Enterprises: सरकार मीडियम इंटरप्राइजेज के लिए अलग नीति लाने पर विचार कर रही है। नीति आयोग ने एमएसएमई मंत्रालय को सुझाव दिया है कि मीडियम उद्यमों के लिए अलग वित्तीय मदद, टेक्नोलॉजी का ज्यादा इस्तेमाल, शोध-प्रयोग पर जोर, क्लस्टर के हिसाब से टेस्टिंग सुविधाएं, खास प्रशिक्षण और एक केंद्रीकृत पोर्टल बनाया जाए।

मीडियम इंटरप्राइजेज देश के मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। इन्हें प्रोत्साहित करने से उत्पादन और रोजगार दोनों बढ़ेंगे। एमएसएमई का देश की जीडीपी में 29% और निर्यात में 40% योगदान है। हालांकि, मीडियम इंटरप्राइजेज एमएसएमई का सिर्फ 1% हिस्सा हैं, लेकिन निर्यात में इनका योगदान काफी बड़ा है।

बजट में एमएसएमई की परिभाषा भी बदली गई है, अब 500 करोड़ तक के टर्नओवर वाली यूनिट को मीडियम इंटरप्राइजेज माना जाएगा, जो पहले 250 करोड़ था। नीति आयोग का मानना है कि मीडियम इंटरप्राइजेज को विशेष मदद मिले तो वे अपने कारोबार को बढ़ा पाएंगे और रोजगार भी बढ़ेगा।
माइक्रो यूनिट में औसतन 6 लोग काम करते हैं, स्माल यूनिट में 19 और मीडियम यूनिट में लगभग 89 लोग काम करते हैं।इसलिए मीडियम इंटरप्राइजेज बढ़ेंगे तो रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे।
अगर इन उद्यमों को बेहतर प्रशिक्षण और नई टेक्नोलॉजी मिलेगी तो उनकी लागत कम होगी, उत्पाद बेहतर होंगे और उनकी प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।