पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी दो रुपये प्रति लीटर बढ़ी, केंद्र ने कहा नहीं बढ़ेंगे दाम
केंद्र सरकार ने सोमवार को लिए एक महत्वपूर्ण फैसले में पेट्रोल-डीजल पर दो रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है। लगभग आधे घंटे बाद केंद्र सरकार की तरफ से सफाई दी गई कि इस एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ेंगे। यह जो खर्च बढ़ेगा, उसे पेट्रोलियम कंपनियां उठाएंगी। एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से लोगों को एक बार तो झटका लगा था, लेकिन केंद्र सरकार की सफाई के बाद वाहन चालकों ने राहत की सांस ली। इस समय सरकार पेट्रोल पर 19 रुपये 90 पैसे प्रति लीटर तथा डीजल पर 15 रुपये 80 पैसे प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूल करती है। अब दो रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है। ऐसे में अब पेट्रोल पर 21 रुपये 90 पैसे तथा डीजल पर 17 रुपये 80 पैसे एक्साइज ड्यूटी लगेगी।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि कच्चे तेल की घटी कीमतों को एडजेस्ट किया गया है। यदि आगे भी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आएगी तो पेट्रोल-डीजल के दामों को कम किया जाएगा। कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद अभी तक पेट्रोल-डीजल के रेटों में कटौती नहीं की गई है। अब सरकार ने पेट्रोल-डीजल को सस्ता करने की बजाय एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है। अब यह एक्साइज ड्यूटी पेट्रोलियम कंपनियों को ही देनी होगी, इसका लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
एक साथ सरकार ने जारी किए दो नोटिफिकेशन
सरकार ने सोमवार को एक साथ दो नोटिफिकेशन जारी किए। पहले नोटिफिकेशन में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर दो रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का आदेश जारी किया। जब लोगों में हलचल हुई और उनको यह अंदेशा होने लगा कि पेट्रोल-डीजल के रेट 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ गए हैं, उसके बाद सरकार तुरंत दूसरा नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि यह जो 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं, वह लोगों के लिए नहीं बढ़ेंगे। इसे एक्साइज ड्यूटी के रुप में कंपनियों को वहन करना होगा।
कैसे बढ़ते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
मुख्य रूप से पेट्रोल-डीजल के दाम चार कारणों से बढ़ते हैं। रुपये के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कीमत भी इन दामों को प्रभावित करती है। इसके अलावा केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा वसूला जाने वाले टैक्स, देश में तेल की मांग भी इसके रेट को बढ़ाती और घटाती है। इसके बाद ही भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय होती है। सरकार 2010 से पहले पेट्रोल की कीमतें निर्धारित करती थी। इसे हर 15 दिन में बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद पेट्रोल की कीमतों को बढ़ाने तथा घटाने का अधिकार तेल कंपनियों को दिया गया। इसी प्रकार अक्तूबर 2014 के बाद डीजल की कीमतों के निर्धारण का अधिकार भी तेल कंपनियों को दे दिया गया। फिलहाल तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, यातायात खर्च जैसी बातों का ध्यान रखते हुए पेट्रोल-डीजल की कीमतों को निर्धारित करती हैं।
कच्चा तेल चार साल के निचले स्तर पर
इस समय कच्चे तेल की कीमतें काफी गिर गई हैं। यह चार साल के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले सप्ताह की बात करें तो ब्रेंट क्रूड 12 प्रतिशत टूट गया था। सोमवार को भी ब्रेंट क्रूड 4 प्रतिशत कम होकर 64 डॉलर प्रति बैरल आ गया है। यह अमेरिका सरकार द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतों और कमी आने की संभावना है। यदि ऐसा हुआ तो फिर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी कटौती हो सकती है।