स्टाक अधिक होने से जीरे के भाव पर, अभी तेजी के आसार नहीं
जीरे का उत्पादन अधिक होने तथा पुराना स्टॉक ज्यादा बचने से मंडियों में प्रेशर बना हुआ है। दूसरी ओर निर्यात की भारी कमी बनी हुई है, जिससे लगातार बाजार टूटते जा रहे हैं तथा नई फसल तक भी लंबी तेजी के आसार नहीं है।
जीरे की नई फसल आए लगभग 5 महीने हो चुके हैं तथा रुक-रुक कर बाजार टूटता ही जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि गुजरात राजस्थान में जीरे का उत्पादन अधिक हुआ था, दूसरी ओर पुराना स्टॉक भी ज्यादा बचने से मंडियों में माल का प्रेशर सीजन से ही बना हुआ है।
इसके अलावा जीरे का निर्यात अनुकूल नहीं है तथा बाजारों में रुपए की भारी तंगी होने से हर भाव में ऊंझा मेहसाणा काठियावाड़ सहित सौराष्ट्र की मंडियों के कारोबारी बिकवाल बने हुए हैं।
दूसरी ओर जीरे की फसल राजस्थान के जोधपुर बाड़मेर बीकानेर लाइन में हल्की क्वालिटी की ज्यादा आई है, यह बढ़िया माल को उठने नहीं दे रही है। इधर पुराना स्टाक भी राजस्थान की मंडियों में बचा था, जो रुपए की तंगी में लगातार घटाकर बिकवाल आ रहे हैं।
नई फसल अगले जनवरी माह में आएगी तथा इस बार भी बिजाई अधिक होने की संभावना है, क्योंकि मौसम विभाग अभी से बरसात अच्छी होने की भविष्यवाणी कर रहा है, जो बिजाई के लिए उपयोगी रहेगी।
इधर बाजार को डिब्बा चला रहा है। अधिकतर बड़े सटोरियों के माल ऊंचे भाव पर बिके हुए हैं तथा अगस्त तक का वायदा में माल बिकने से बाजार को सटोरिए उठन नहीं देंगे। दूसरी ओर सीमावर्ती मंडियों तनाव बना हुआ है तथा निर्यातक भी पहले के हुए सौदों की
डिलीवरी काफी कर चुके हैं तथा नए सौदे करने से कतरा रहे हैं। उधर तुर्की सीरिया का माल मंदे भाव में निर्यात में बिक रहा है। वहीं निर्यात में भारतीय जीरा अभी भी ऊंचा पड़ रहा है। यही कारण है कि जीरे में लगातार बिकवाली का प्रेशर बना हुआ है।
जनवरी माह में जीरे की जब नई फसल आई थी, उस समय ऊंझा में एवरेज जीरा के भाव 4950/5000 रुपए प्रति 20 किलो चल रहे थे, उसके भाव वर्तमान में 4220/4240 रुपए के निम्न स्तर पर आ गए हैं।
इस बार ऊंझा एवं मेहसाणा दोनों ही मंडियों में स्टॉक ज्यादा बचा हुआ है। व्यापारियों का कहना है कि भुज के आसपास भी कारोबारियों ने काफी माल रोक लिया है, जबकि राजस्थान के जोधपुर बाड़मेर एवं बीकानेर लाइन में 3800/3850 रुपए प्रति 20 किलो के आसपास एवरेज माल बिक रहे हैं तथा इन भाव में भी व्यापार नहीं है।
वहां हल्के माल 3500/ 3600 रुपए भी बोल रहे हैं, इन परिस्थितियों में जीरा उठना मुश्किल लग रहा है। हम मानते हैं कि बीच-बीच में 5/7 रुपए प्रति किलो कभी भी सटोरिया बाजार को मजबूत कर देंगे, लेकिन नई फसल आने तक स्टॉक अधिक एवं निर्यात में भारी कमी को देखते हुए लंबी तेजी की संभावना बिल्कुल नहीं दिखाई दे रही है।