केंद्र ने इनकम टैक्स बिल वापस लिया, दो दिन बाद नया लाएंगे,गैर-कर्मचारी' को सरकारी की तरह पेंशन पर हो छूट
आयकर की प्रक्रिया को आसान बनाने और 64 साल पुराने कानून को बदलते समय के अनुरूप अत्याधुनिक बनाने के लिए लाए गए नए इनकम टैक्स बिल को सरकार ने भारी त्रुटियों को चलते टाल दिया। 622 पेज के नए आयकर बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया था। कमेटी ने 4500 पेज में 285 संशोधन के सुझाव दिए हैं। मूल आयकर कानून में कुल 536 सेक्शन ही थे। संशोधनों की व्यापक संख्या को देखते हुए सरकार ने बिल को वापस ले लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में शुक्रवार बिल वापस लेने की घोषणा की। संशोधनों के साथ नया बिल 11 अगस्त को लाया जाएगा। सरकार नए बिल में कमेटी के अधिकांश सुझावों को जगह देगी।
यह बिल पहली बार 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किया ग.या था। इसके बाद इसे जांच के लिए भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अगुवाई में गठित 31 सदस्यों वाली सेलेक्ट कमेटी को .भेजा गया था। कमेटी ने बिल में कई बदलाव सुझा.ए थे। इनमें धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट को मिलने वाले गुमनाम दान पर टैक्स छूट जारी रखने की सिफारिश को गई थी। इसके अलावा, टैक्सपेयर्स को आ.ईटीआर की डेडलाइन के बाद भी टीडीएस रिफंड क्लेम करने की अनुमति देने की बात कही गई थी. बिना किसी पेनल्टी के।
गैर-कर्मचारी' को सरकारी की तरह पेंशन पर हो छूट
पेंशन लाभ..... कमेटी का सुझाव है कि गैर कर्मचारियों की परिभाषा में बदलाव किया जाए। निजी क्षेत्र में कार्यरत उन सभी लोगों को गैर कर्मचारी समझा जाए, जिनके नियोक्ता खुद पेंशन योजना नहीं चलाते। नि.जी क्षेत्र के कर्मचारी तमाम पेंशन फंडों में निवेश करते हैं। कमेटी ने सुझाव दिया है कि निजी क्षेत्र के कर्मियों को भी ऐसे फंड में निवेश से मिलने वाली पेंशन में वैसी ही डिडक्शन या टैक्स छूट दी जाए, जैसी सरकारी कर्मचारियों को मिलती है।
प्रॉपर्टी पर छूट....... कमेटी ने कहा है कि अस्थायी रूप से खाली और उपयोग के लिए तैयार कमर्शियल प्रॉपर्टी को मकान संपत्ति मानकर इन्हें आयकर में छूट दी जाए।
खाली मकान... मौजूदा समय में अगर पूरे साल आपका मकान
खाली रहता है, तो उसका किराया 30 हजार रुपए न्यूनतम मानकर टैक्स की गणना की जाती है। नए आयकर बिल में इसे बढ़ाकर 1 लाख कर दिया गया था। कमेटी ने इसे 30 हजार ही रखने की सिफारिश की है। कमेटी ने कहा वास्तविक मकान किराए की तुलना में मानक किराए को तय करने के प्रावधानों को स्पष्ट किया जाए।
आयकर रिफंड..... नए आयकर कानून में रिफंड पाने के लिए अंतिम तिथि तक आयकर रिटर्न भरना जरूरी बनाया गया था। कमेटी ने कहा है कि इससे वास्तविक आयकरदाताओं को कठिनाई हो सकती है जो कुछ वजहों से रिटर्न फाइल नहीं कर पाते। इसलिए इस नियम को बदलने को कहा गया है। यानी रिफंड के लिए तय तारीख तक रिटर्न भरना अनिवार्य न किया जाए।
यह भी कारण रेहे विधेयक में संशोधन के लिए
ये भी कारण रहे विधेयक में संशोधन के लिए
ड्राफ्टिंग में गलतियांः कई प्रावधानों में तकनीकी और भाषाई गलती थी। इससे इन कानून को लागू करने में कई अड़चनें आ सकती थीं।
अस्पष्ट टैक्स दरेंः नए टैक्स रेट और छूट की सीमाओं के निर्धारण में
अस्पष्टता थी। टैक्सपेयर और विभाग दोनों में भ्रम की स्थिति बन रही थी। रिटर्न फाइलिंग की नई समय सीमा और दंड के प्रावधानों में अस्प्ष्टता थी।
कैपिटल गैन पर टैक्स की गणनाः कैपिटल गैन की गणना और इंडेक्सेशन लाभों में तकनीकी त्रुटियां थी। इससे निवेशकों को परेशानी होती।