सीसीआइ ने आनलाइन खरीद करने के नियम बदले, -कॉमर्स वेबसाइट की मनमानी पर लगेगी रोक
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स सेक्टरों में अनुचित मूल्य निर्धारण से निपटने के लिए नए नियम लागू किए हैं। इन नियमों का उद्देश्य बड़े ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म की ओर से अपनाई जाने वाली जीरो-प्राइसिंग जैसी नीतियों के संबंध में बढ़ती चिंताओं पर अंकुश लगाना है। नए फ्रेमवर्क के तहत 2009 के मौजूदा लागत नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है।
इसमें सभी सेक्टरों में गैर-प्रतिस्पर्धी कीमतों का आकलन करने के लिए एक स्पष्ट कार्यप्रणाली दी गई है। नए नियम 7 मई से लागू हो चुके हैं। नए नियमों के तहत अनुचित कीमत की पहचान के लिए औसत परिवर्तनीय लागत को प्राइमरी बेंचमार्क माना जाएगा।
छोटी कंपनियों को राहत
यह कदम आक्रमक मूल्य निर्धारण रणनीतियों पर नियामकीय निगरानी बढ़ाने का संकेत देता है। इससे छोटी कंपनियों को भी बड़ी कंपनियों की तरह अपने उत्पादों को उपभोक्ताओं के सामने रखने के लिए समान अवसर मिलेंगे।
ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन ने प्रतिस्पर्धा नियामक के समाने एक याचिका दायर कर प्रमुख ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स प्लेटफार्मों की मूल्य निर्धारण रणनीतियों की जांच की मांग की थी।
जांच प्रक्रिया में निष्पक्षता
सीसीआइ के पास वैकल्पिक लागत उपायों का उपयोग करने का विवेकाधिकार रहेगा, जिसमें औसत कुल लागत, औसत टालने योग्य लागत या दीर्घकालिक औसत वृद्धिशील लागत शामिल हैं और इनका निर्धारण मामले की जटिलताओं पर निर्भर करता है।
जांच प्रक्रिया में निष्पक्षता के लिए दायरे में आने वाली कंपनियों को अब अपने खर्च पर विशेषज्ञों की मदद लेकर लागत आकलन को चुनौती देने का अधिकार