सरकारी खरीद वाला अनाज अब गोदाम में इतने समय से अधिक नहीं रख सकेंगे,खाद्य विभाग ने बनाई पॉलिसी
गोदामों में सालों-साल पड़े अनाज के सड़ने पर लगातार विवाद होते रहे हैं। अब खाद्य विभाग अनाज डिस्पोजल पॉलिसी पर काम कर रहा है ताकि सरकारी खरीद वाले अनाज के सरकारी-अनुबंधित निजी गोदामों में स्टोरेज की डेडलाइन तय हो सके। पॉलिसी ड्राफ्ट के मुताबिक, अधिकतम दो साल तक ही सरकारी अनाज स्टोर किया जा सकेगा। वर्तमान में, साल 2019-20 तक का अनाज वेयरहाउसिंग के गोदामों में रखा हुआ है। बीते साल अगस्त में खाद्य संचालनालय द्वारा अनाज की डिस्पोजल पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया गया था।
शुरुआती तौर पर प्रस्ताव था कि 6 महीने तक वेयरहाउसिंग के गोदामों में अनाज रखा जाएगा। केंद्रीय एजेंसी से आवेदन मिलने पर अवधि 6 महीने और बढ़ा दी जाएगी। इसके बाद, केंद्रीय एजेंसियों को अनाज आगे रखना है तो लिखित आवेदन देना होगा कि खुद के रिस्क पर स्टॉक रखा है। वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेगा। बाद में सरकार से निर्देश मिले कि दो साल अनाज रखने के बाद उसके डिस्पोजल की नीति तैयार की जाए। सूत्रों के मुताबिक, डिस्पोजल अवधि नान के सुझाव पर ही तय होगी।
मप्र में है 336 लाख मीट्रिक टन अनाज रखने की क्षमता
मत्र में कुल 336 लाख मीट्रिक टन स्टोरेज क्षमता उपलब्ध है। स्पष्ट नीति के अभाव में कई साल तक अनाज स्खा रहता है। सड़ने पर कई तरह के विवाद होते हैं। अभी बड़वानी, छतरपुर, जबलपुर, ग्वालियर, कटनी आदि में लगभग 23,500 मीट्रिक टन गेहूं वेयरहाउसिंग के गोदामों में रखा हुआ है। वहीं कई जिलों में 2020-21 में खरीदा गया 47,150 मीट्रिक टन गेहूं पड़ा हुआ है।
इसके बाद के सालों में सरकारी खरीद वाला गेहूं भी स्टॉक में है। वर्तमान खरीदी का 65 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं स्टॉक में है। वहीं 2020-21 में सरकारी खरीद का 2,120 मीट्रिक टन चावल खरीदा गया है। निजी गोदाम भी सालों तक अनाज स्टोर करके रखते हैं।
2024 में एफसीआई ने रिजेक्ट कर दिया था गोदामों का गेहूं अगस्त 2024 में फूड कॉरिशन ऑफ इंडिया ने महा के सरकारी गोदामों में रखे 10.64 लक्ष्यख मीट्रिक टन गेहूं को अनफिट (खराब) बता दिया था। इसमें से साल 2020-21 में खरीदा गया 1.57 एतस्मटी और साल 2021-22 खरीदा गया 3.57 एलएमटी गेहूं भी शामिल था। पूर्व में भी कई बार एफसीआई पुराने गेहूं को क्वालिटी के आधार पर रिजेक्ट कर चुका है।