मखाने का स्टाक कम, 200 रूपये प्रति किलो उछाल की संभावना
उत्पादक मंडियों में मखाने का स्टॉक बहुत ही कम बचने के बावजूद भी ग्राहकी की भारी कमी होने से टेंपरेरी मंदा गया है, लेकिन जून-जुलाई में जबरदस्त खपत रहने वाली है, इसे देखते हुए नई फसल आने से पहले 150/200 रुपए प्रति किलो तक की एक बार तेजी कारोबारियों को मिल सकती है।
यद्यपि मखाना उत्पादक क्षेत्रों में आने वाली फसल अब तक बहुत बढ़िया बताई जा रही है तथापि समस्तीपुर दरभंगा गुलाब बाग पूर्णिया गेराबाड़ी हरिशचंद्रपुर बंगाल असम की सभी उत्पादक मंडियों में मखाने का स्टॉक केवल 5-7 प्रतिशत बचा है, इस वजह से कोई भी कारोबारी वर्तमान भाव पर बिकवाल नहीं है तथा अधिकतर बड़े कारोबारियों के पास माल नहीं है।
अभी वहां की मंडियों में बढ़िया क्वालिटी का माल समाप्त हो गया है, जो हल्के ठुड्डी वाले माल कम सूता के बचे हुए हैं, उनके भाव पूर्णिया लाइन में 950/980 एवं हरिशचंद्रपुर हरदा मालदा लाइन में 1000/1050 रुपए प्रति किलो के बीच व्यापार हो रहा है। उधर गेराबाड़ी में 925/950 रुपए चल रहे हैं, जिन्हें कोई 800 रुपए में नहीं पूछता था।
कहने का मतलब यह है कि अब इनफीरियर क्वालिटी का माल बचा हुआ है। उत्पादक मंडियों में स्टॉक बहुत ही कम बचा है, जबकि खपत के लिए पूरा 2 महीने का समय बाकी है। गौरतलब है कि इस बार रक्षाबंधन की सेल जुलाई में ही रहेगी तथा नए माल का प्रेशर 15 अगस्त से पहले नहीं बन पाएगा, इन परिस्थितियों में उक्त अवधि के अंतराल मखाना एक बार पूरी तरह शॉर्टेज में बनने वाला है।
दिल्ली जयपुर आगरा मथुरा कानपुर लखनऊ अमृतसर लुधियानाआदि बड़ी मंडियों में इस समय ग्राहकी का सन्नाटा चल रहा है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद बाजारों में रुपए की काफी टाइटनेस बन गई है। यही कारण है कि उत्पादक मंडियों की अपेक्षा यहां भाव नीचे चल रहे हैं।
आगे जैसे ही ग्राहकी निकलेगी कलेगी तथा वितरक मंडियों में माल बिकेगा, उस समय उत्पादक मंडियों से माल मिलना मुश्किल हो जाएगा। गत वर्ष इन दोनों उत्पादक मंडियों में 2 लाख बोरी के करीब मखाने का स्टाक था, जो इस बार 50 हजार बोरी भी निकलना मुश्किल है। इस तरह माल की शॉर्टेज बनी हुई है, यह टेंपररी ग्राहकी का मंदा है, इसमें माल बेचने की बजाय खरीदते रहना चाहिए।
इस वजह से जून जुलाई 2 महीना भारी तेजी वाला लग रहा है, यहां एवरेज माल 1150 रुपए तथा बढ़िया माल 1600 रुपए तक थोक में बिक रहे हैं, लेकिन इन भाव में अब घटने की गुंजाइश नहीं है तथा घबराकर माल काटने की बिलकुल जरुरत नहीं है। जो भी मखाना कारोबारियों के पास पड़ा है, वह भरपूर लाभ देकर जाएगा।