आइएएस-आइपीएस की तर्ज पर कर्मचारियों को मिलेगी एडवांस पदोन्नति
साल में दो बार डीपीसी होगी। 2025 में यह जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर में होगी। इसके बाद अधिकारी, कर्मचारियों का ओहदा बढ़ जाएगा। दो साल में प्रक्रिया पूरी होते ही नीचे के 2 लाख पद खाली हो जाएंगे। इतने ही पदों पर युवाओं को अगले 4 साल में पक्की नौकरी मिलेगी। मोहन सरकार के इस निर्णय से न सिर्फ अधिकारी, कर्मचारियों का ओहदा बढ़ेगा, बल्कि सीधे तौर पर उनके परिवार का समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। 2 लाख बेरोजगारों को नौकरी के नए रास्ते खुलेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट में 459 नए आंगनवाड़ी खोलने, इनके लिए सहायिका, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सुपरवाइजर के पद सृजित करने को मंजूरी दी। नए जिले पांढुर्ना, मैहर और मऊगंज में जिला कोषालय कार्यालय स्थापित करने, उनके लिए पद सृजित करने को स्वीकृति मिली। बिजली कंपनियों के अधोसंरचना विकास के लिए 5163 करोड़ रुपए का अनुमोदन दिया।
जिसे लेकर 9 साल पहले शुरू हुआ विवाद, वह यथावत रहेगा
पदोन्नति में आरक्षण पर 9 साल पहले शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के समय विवाद शुरू हुआ। कर्मचारी दो हिस्सों में बटे। सपाक्स का समर्थन करने वाले कर्मचारी पदोन्नति में आरक्षण की खिलाफत कर रहे थे तो अजाक्स का समर्थन करने वाले कर्मचारी इसे संवैधानिक अधिकार बताकर जारी रखने की पैरवी कर रहे थे। मोहन सरकार के नए पदोन्नति नियम में पदोन्नति में आरक्षण जारी रखा है। आरक्षित वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण मिलेगा, जो एससी वर्ग के लिए 16 व एसटी के लिए 20 फीसद होगा। पहले इनकी ही पदोन्नति होगी, उसके बाद अनारक्षित वर्ग के शासकीय सेवकों की बारी आएगी। ये पूर्व की तरह मैरिट के आधार पर अनारक्षित वर्गों में भी शामिल हो सकेंगे। सबसे अंत में अनारक्षित वर्ग के शासकीय सेवकों को पदोन्नत किया जाएगा।