कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों को दी राहत, बुजुर्ग का भरण पोषण न करने पर संपत्ति से बेदखली का हक
कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों( senior citizen)को राहत देते हुए कहा कि संतान अथवा कोई रिश्तेदार यदि संपत्ति मालिक बुजुर्ग के भरण-पोषण के दायित्व को पूरा नहीं कर रहा, तो न्यायाधिकरण को ऐसी संपत्ति से संतान या रिश्तेदार को बेदखल करने के आदेश देने का अधिकार है।
इसके साथ, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट(Bombay High) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 80 वर्षीय बुजुर्ग की ऐसी दो संपत्तियों का कब्जा बेटे को सौंपा गया था। भरण-पोषण न्यायाधिकरण ने दोनों संपत्तियों का कब्जा पिता को सौंपने का फैसला सुनाया था, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे पलट दिया था। पीठ ने प्रतिवादी को यह वचन देने का आदेश दिया कि वह 30 नवंबर, 2025 तक संपत्ति खाली कर देगा।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने बुजुर्ग कमलाकांत मिश्रा की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट(High court ( के आदेश के विरुद्ध दायर याचिका मंजूर कर ली। न्यायाधिकरण ने कमलाकांत के तीन बेटों में से एक, जो व्यवसायी है, को मुंबई में उनकी संपत्तियों से बेदखल करने का निर्देश दिया था।
न्यायाधिकरण के फैसले को हाईकोर्ट(High court) ने बेटे के भी वरिष्ठ नागरिक होने के आधार पर रद्द कर दिया। कमलाकांत के सबसे बड़े बेटे ने उनकी संपत्तियों को कब्जे में ले लिया और पिता को रहने की अनुमति नहीं दी। कमलाकांत ने न्यायाधिकरण का रुख किया, जहां बेटे की बेदखली और अपीलकर्ता को 3,000 रुपये के भुगतान का आदेश हुआ।
वरिष्ठ नागरिक(senior citizen) की स्थिति आवेदन दायर करने की तिथि से तय होगी
कमलाकांत के बेटे ने फैसले को हाईकोर्ट(High court) में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा, न्यायाधिकरण को वरिष्ठ नागरिक( senior citizen) की संपत्ति खाली कराने का आदेश देने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने अनुमान लगाया कि प्रतिवादी भी वरिष्ठ नागरिक है क्योंकि उसकी जन्मतिथि 4 जुलाई, 1964 है। कोर्ट ने कहा, न्यायाधिकरण अपीलकर्ता की शिकायत को स्वीकार नहीं कर सकता था क्योंकि यह अन्य वरिष्ठ नागरिक के विरुद्ध थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह त्रुटिपूर्ण है। अपीलकर्ता जब न्यायाधिकरण पहुंचे, तब प्रतिवादी की आयु 59 वर्ष थी। विचार के लिए प्रासंगिक तिथि आवेदन दायर करने की तिथि ही होगी।
प्रावधानों की व्याख्या उदारतापूर्वक होनी चाहिए
पीठ ने कहा, कल्याणकारी कानून होने के नाते इसके प्रावधानों की व्याख्या उदारतापूर्वक होनी चाहिए, ताकि इसका लाभकारी मकसद आगे बढ़ाया जा सके। इस कोर्ट ने कई अवसरों पर यह टिप्पणी की है कि वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण के दायित्व का उल्लंघन होने पर न्यायाधिकरण को उनकी संपत्ति से बच्चे या रिश्तेदार को बेदखल करने का आदेश देने का पूरा हक है।