Sawan 2025: इस शापित फूल को भूलकर भी न चढ़ाये शिवलिंग पर, वरना महादेव हो जाते हैं क्रोधित
Ketki Phool Ki Katha : 11 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया. आज सावन का पहला सोमवार है. इस दिन शिव भक्त व्रत रखते है. व्रत के साथ लोग शिवलिंग की पूजा करते है. कहा जाता है कि शिवलिंग पर कभी भूलकर भी केतकी के फूल को नहीं चढ़ाना चाहिए.
इसके अलावा आप शिवलिंग पर अनेक सामग्री जैसे धतुरा, सफेद फूल आदि शिवलिंग पर अर्पित कर सकते है. शिव जी को केतकी का फूल अर्पित न करने के पीछे एक कथा है. आइये जानते है...
केतकी फूल की कथा
शिव पुराण में बताया गया है कि एक बार विष्णु जी और ब्रह्मा के बीच विवाद(बहस) शुरू हुआ कि सर्वश्रेष्ठ कौन है. विवाद को खत्म करने के लिए दोनों भगवान शिव के पास पहुंच गए.
तब भोलेनाथ ने एक शिवलिंग उत्पन्न किया और दोनों से कहा कि जो भी इस शिवलिंग के आदि और अंत खोज लेगा वहीं सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा. इस तरह भगवान विष्णु ऊपर की ओर और ब्रह्मदेव नीचे की ओर शिवलिंग का ओरछोर खोजने निकल गए.
भगवान विष्णु को शिवलिंग का अंत न मिल सका और उन्होंने हार मान ली. ब्रह्मा भी शिवलिंग का अंत नहीं खोज पाएं. जब दोनों हारने के बाद शिव जी के पास लौटने लगे तब उन्हें रास्ते में केतकी का फूल मिला.
ब्रह्मा जी ने केतकी को झूठ बोलने के लिए कहा. केतकी फूल ब्रह्मदेव के बहकावे में आकर शिव जी से कहा, कि ब्रह्मदेव ने शिवलिंग का अंत खोज लिया है. ब्रह्मा जी केतकी के साथ भगवान शिव के सामने पहुंचे थे.
जहां केतकी ने झूठ बोल दिया कि ब्रह्मदेव ने अंत ढूंढ लिया है. भगवान शिव बहुत अच्छे से जानते थे कि केतकी ने ब्रह्मदेव का साथ देते हुए झूठ बोला है. इस बात के लिए भगवान शिव क्रोधित हो गए और अहंकार से भरे ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को काट डाला.
भगवान शिव ने केतकी के फूल को श्राप दे दिया कि आज के बाद किसी भी पूजा में केतकी के फूल का उपयोग नहीं किया जाएगा. इस वजह से शिव जी की पूजा में केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाता.