Kahawat ki Sachhayi: इस वजह से फेमस हुई थी ये कहावत, आज भी है लोगों की जुबां पर
Raja Bhoj Kahawat ki Sachhayi : हमारे देश में किसी भी कहावत के पीछे उसका कोई मतलब और कोई बड़ी वजह होती है. जिसके कारण वो फेमस हो जाती है. आज हम आपको एक हिंदी की ऐसी कहावत के बारे में बता रहे है जिसे आप अपने बचपन से सुनते आ रहे है.
आप लोगों ने तो जरूर सुनी होगी “कहां राजा भोज कहां गंगू तेली”. क्या आप जानते है कि ये कहावत कैसे बनी और क्यों ? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते है. बता दें कि ये कहावत भोपाल शहर से जुड़ी हुई है.
जब दो चीज़ों या लोगों के बीच भारी फर्क बताना हो, तो ये कहावत मुंह से अपने-आप निकल जाती है. इस कहावत में सबसे पहले राजा भोज की बात करते है. राजा भोज 11वीं सदी में मालवा के राजा थे. इनके नाम पर रखा गया था.
पहले इस शहर का नाम “भोजपाल” था, जिसे बदल कर भोपाल कर दिया गया. राजा भोज एक योद्धा के साथ कला, विज्ञान और स्थापत्य में भी बेहतरीन थे. अब बात करते है “गंगू तेली” की.
लोगों को आज तक लगता है कि गंगू तेली कोई आम व्यक्ति या छोटी जाति के बारे में होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. आपको बता दें कि असल में गंगू और तेली दो अलग-अलग राजा थे. गंगू कलचुरी वंश के राजा गांगेय देव थे और तेली चालुक्य वंश के राजा जयसिंह तैलंग थे.
इतिहास में बताया गया है कि ये दोनों राजा एक बार राजा भोज पर हमला करने के लिए एकजुट हो गए थे, लेकिन राजा भोज ने छोटी सी सेना के साथ इन दोनों को करारी शिकस्त दी.
राजा भोज ने गंगू और तैलंग जैसे दो बड़े राजाओं को हरा दिया. उसके बाद से लोग मज़ाकिया और प्रतीकात्मक अंदाज़ में याद रखने लगे. फिर यहीं से इस कहावत का जन्म हुआ “कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली“.
इस कहावत का मतलब है कि एक तरफ जो ताकतवर, ज्ञानी और बहादुर है और दूसरी तरफ जो उसके सामने कहीं नहीं टिकता. ये कहावत राजाओं के बीच हार-जीत की कहानी है.