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हरियाणा के कर्मचारियों को हाई कोर्ट ने दी खुशखबरी, ये दो फैसले देंगे कर्मचारियों को राहत

 

हरियाणा सरकार की तरफ़ से सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंकों से नौकरी पाने वाले कर्मचारियों को हरियाणा हाईकोर्ट ने राहत दी है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आज स्पष्ट किया  है कि इन्हें पूरी तरह निकाला नहीं जा सकता । इसमें कर्मचारियों की कोई गलती नहीं है, इसमें कर्मचारियों की क्या गलती है। सरकार के बनाए नियमों में गलती थी, इसलिए संशोधित मेरिट में जगह न बना पाने वाले कर्मचारियों को सरकार कॉन्ट्रैक्ट आधार पर नियुक्ति देगी। आगे जब भी विभागों में रेगुलर पद खाली होंगे, तब उन्हें नियमानुसार उन पदों पर सरकार की ओर से नियुक्त कर दिया जाएगी।

हरियाणा पंजाब हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी मेहता की डिवीजन बेंच ने कई याचिकाओं का निपटारा करते हुए 2019 के बाद हुई उन सभी हरियाणा सरकारी भर्तियों के परिणामों को रद्द कर नए सिरे से तैयार करने का आदेश जारी किया है, जिनमें सामाजिक और आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक देकर चयन किया गया था।


कर्मचारियों के लिए राहत भरे फैसले

नए परिणाम तैयार करते समय केवल वास्तविक मेरिट के आधार पर नियुक्तियां की जाएं। जिन उम्मीदवारों को नए परिणामों में चयन नहीं मिलेगा, उन्हें सरकार की ओर से अस्थायी या कच्चे कर्मचारी के रूप में रखा जाएगा, जब तक कि संबंधित पद रिक्त नहीं होते। भविष्य में जब नियमित पद उपलब्ध होंगे, तब उन्हें नियमानुसार नियुक्ति दी जाएगी।


2. नहीं चाहते कि ऐसे लोग, जिनकी कोई गलती नहीं है, अपनी नौकरी पूरी तरह से खो दें। इसलिए, भर्ती से बाहर किए गए लोगों को तुरंत सेवा से हटाने का आदेश नहीं दिया गया है। हालांकि, जो लोग नए मेरिट के आधार पर ऊपर आएंगे, उन्हें नियुक्ति के साथ चयन की तारीख से वरिष्ठता और अन्य सभी लाभ प्रदान किए जाएंगे।

इस फैसले में कर्मचारियों की कोई गलती नहीं मानी

कोर्ट ने कहा कि ये उम्मीदवार कठिन चयन प्रक्रिया से गुजरे थे और उन्हें उस प्रक्रिया के अनुसार नियुक्त किया गया था, जो विज्ञापन में तय की गई थी। भले ही कोर्ट ने 11 जून 2019 की अधिसूचना को अस्वीकार किया है, लेकिन इन नियुक्त कर्मचारियों को सजा नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि गलती उनकी नहीं है।


लागू हुई नो फाल्ट थ्योरी

कोर्ट ने इसे संविधान के समता और समान अवसर के सिद्धांत के खिलाफ मानते हुए कहा कि इन बोनस अंकों ने चयन प्रक्रिया को दूषित कर दिया है। बिना ठोस आंकड़ों के अतिरिक्त अंकों का लाभ दिया गया, जिससे यह पूरी प्रक्रिया संवैधानिक प्राविधान के विरुद्ध हो गई। पीठ ने उन उम्मीदवारों के लिए "नो-फॉल्ट थ्योरी" को भी लागू किया, जिन्होंने लिखित परीक्षा पास की थी और लंबे समय से कार्यरत हैं।


इस फैसले से 8000 से अधिक कर्मचारी होंगे प्रभावित

कोर्ट ने कहा कि सरकार ने न तो किसी प्रकार के सामाजिक-आर्थिक आंकड़े एकत्र किए और न ही इस आधार पर अतिरिक्त अंकों की वैधता का कोई वैज्ञानिक आधार प्रस्तुत किया। इस फैसले से 10 हजार से अधिक सरकारी कर्मचारी प्रभावित होंगे।


हरियाणा सरकार ने दिया यह तर्क


हरियाणा सरकार ने तर्क देते हुए कहा कि यह नीति जन कल्याण सर्वोच्च कानून की सिद्धांत पर आधारित है, इस नीति का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को अवसर देना है।

अदालत के द्वारा खारिज किए गए तर्क

अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी नीति जो योग्यता से हटकर केवल सामाजिक स्थिति के आधार पर अंक देती हो वह संविधान की भावना के खिलाफ है।