{"vars":{"id": "115716:4925"}}

80 वर्षीय विधवा को सभी पेंशन लाभ देने का आदेश; हाई कोर्ट

 

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 50 वर्ष पुराने पेंशन मामले में तीखी टिप्पणी की। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने सरकार के बिजली विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को निर्देश दिया कि वे स्वयं 80 वर्षीय विधवा की पेंशन संबंधी दावों की सच्चाई की जांच दो महीने के भीतर करें और जो भी लाभबनते हों, उन्हें तुरंत जारी किया जाए।

जस्टिस बराड़ ने फैसले में कहा कि यह मामला प्रशासनिक संवेदनहीनता का उदाहरण है। उम्र, बीमारी और संसाधनों की कमी से जूझ रही एक विधवा को, जो पहले ही दुख और आर्थिक तंगी का बोझ ढो रही है, व्यवस्था की उदासीनता ने और पीड़ा में डाल दिया है। न्याय पाने की सबसे अधिक जरूरत जिन लोगों को होती है, वे ही अक्सर सबसे असहाय साबित होते हैं।

दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम ने आरटीआई में जवाब दिया था कि मांगी गई जानकारी बहुत पुरानी है और विभाग के पास कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। अदालत ने इसे चिंताजनक बताते हुए कहा कि विभाग दावा कर रहा है कि रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है वहीं दूसरी ओर अपने लिखित बयान में वह नए दावे कर रहा है कि मृतक कर्मचारी जीपीएफ अथवा पेंशन स्कीम में शामिल ही नहीं था।

मामला क्या है : सोनीपत निवासी 80

वर्षीय महिला की तरफ से याचिका दायर कर पति की मृत्यु के बाद से पेंशन और अन्य सभी सेवानिवृत्ति लाभ जारी करने की मांग की थी। याची ने कहा कि उसके पति 1955 में लाइनमैन-II नियुक्त हुए थे। बाद में सब स्टेशन अधिकारी के रूप में कार्यरत रहते हुए 1974 में सेवा के दौरान ही निधन हो गया। उन्हें 6,026 रुपए की एक्स-ग्रेशिया राशि दी गई। परिवार पेंशन, ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट जैसे सभी लाभ लंबित रहे। 1980 के दशक से विभागीय रिकॉर्ड दिखाते हैं कि उनके पति की सर्विस बुक जमा की गई। जीपीएफ कटौतियां भी की गई। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता निरक्षर है। वर्ष 2007 में पुत्र उनसे अलग हो गया। 2015 में लकवे का शिकार हो गई, जिससे वे अपना मामला आगे नहीं बढ़ा सकीं।

60 वर्ष से अधिक आयु वाले एफपीएस डीलरों के लाइसेंस नवीनीकरण पर पुनर्विचार हो

हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (लाइसेंसिंग एवं कंट्रोल) ऑर्डर, 2022 की धारा 6 में जोड़ा गया वह प्रावधान, जिसमें 60 वर्ष से ऊपर के फेयर प्राइस शॉप (एफपीएस) मालिकों के लाइसेंस नवीनीकरण पर रोक लगाई गई थी। अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने फिलहाल लागू न करने का निर्देश दिया है।


कांस्टेबल पद की दावेदारी पर डीजीपी दोबारा विचार करें

हाई कोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी को

निर्देश दिया है कि वे पुरुष कांस्टेबल (जीडी) पद के एक उम्मीदवार के नियुक्ति के दावे पर दोबारा विचार करें। जस्टिस जगमोहन बंसल ने डीजीपी को निर्देश दिया कि यदि दावेदार को उपयुक्त पाया जाए तो उसकी ज्वॉइनिंग की निर्धारित तिथि को ही उसकी नियुक्ति की प्रभावी तिथि माना जाए। भिवानी निवासी उम्मीदवार अमित कुमार की नियुक्ति केवल इस आधार पर ठुकरा दी गई थी कि उसके खिलाफ सड़क दुर्घटना से जुड़े मामले में ट्रायल लंबित था। बाद में 3 मई 2025 को ट्रायल कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। 18 अगस्त 2025 को अमित की दावेदारी यह कहते हुए खारिज कर दी गई कि बरी होने का आदेश सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद आया।