जीरा भाव स्थिर, जीरा का स्टॉक भरपूर,अचानक तेजी या मंदी की संभावना कम
देश के प्रमुख मसाला बाजारों में इन दिनों जीरे के भाव में स्थिरता देखी जा रही है। व्यापारियों के अनुसार, वर्तमान में जीरे का स्टॉक भरपूर है और घरेलू एवं निर्यात मांग सीमित बनी हुई है, जिससे बाजार में अचानक भारी तेजी या मंदी की संभावना कम है।
सियागंज के व्यापारियों का कहना है कि गुजरात और राजस्थान के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इस साल जीरे की पैदावार बेहतर रही। हालांकि बिजाई क्षेत्र में कुछ गिरावट दर्ज हुई थी, लेकिन मौसम अनुकूल रहने से फसल की क्वालिटी और उत्पादन दोनों में सुधार हुआ। मार्च से ही बाजार में नई फसल की आपूर्ति जोरदार रही, जिसका असर अब भी बाजार में नजर आ रहा है।
वर्तमान में ऊंझा मंडी में जीरे की दैनिक आक्क 8 से 10 हजार बोरी के बीच बनी हुई है। इधर मानसून की सक्रियता के चलते कई राज्यों में भारी वर्षा होने से आवागमन में थोड़ी बाधा आ सकती है, जिससे सप्लाई चेन पर हल्का असर दिख सकता है, लेकिन स्टॉक की अधिकता के चलते कीमतों पर ज्यादा असर पड़ने की संभावना नहीं है।
सियागंज के कारोबारियों का कहना है कि जीरा वायदा बाजार में सटोरियों के हाथों में रहता है, जहां कभी तेजड़िए तो कभी मंदड़िए हावी हो जाते हैं, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। हालांकि हाजिर बाजार में इसका प्रभाव सीमित ही रहता है। अभी बाजार में स्थिरता का रुख है और व्यापारी भी फिलहाल सीमित लेवाली कर रहे हैं।
विदेशी बाजारों की बात करें तो तुर्की, सीरिया, ईरान, अफगानिस्तान और चीन में जीरे की नई फसल की कटाई शुरू हो गई है, जिससे वैश्विक बाजार में भी सप्लाई बढ़ने की संभावना है। इससे भी घरेलू बाजार में कीमतों पर दबाव बना रह सकता है। त्योहारी सीजन करीब आने से थोड़ी बहुत मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे हल्की तेजी संभव है।
यह स्थिति किसानों को आगामी अक्टूबर में शुरू होने वाली बिजाई के लिए थोड़ी प्रोत्साहन दे सकती है। यदि वायदा बाजार में भाव मजबूत रहे, तो किसानों को अच्छी कीमत मिल सकती है। हालांकि, राजस्थान से हल्की क्वालिटी के माल की आवक बढ़ी, तो तेजी सीमित रह सकती है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत से जीरे का निर्यात बढ़कर करीब 2.30 लाख टन तक पहुंच गया। निर्यात आय भी 5797 करोड़ से बढ़कर 6179 करोड़ रुपए हो गई, जिससे अंतरराष्ट्रीय मांग के मजबूत रहने के संकेत मिले हैं।