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चना करेगा मालामाल, 500 रूपये प्रति क्विंटल तेजी की संभावना

चना करेगा मालामाल, 500 रूपये प्रति क्विंटल तेजी की संभावना
 

पिछले दिनों देसी चने में चौतरफा घबराहट पूर्ण बिकवाली होने से मंदे का दलदल जरूर बन गया था, लेकिन राज्यवार मंडियों में आवक एवं स्टॉक को देखते हुए अगले महीने 500 रुपए प्रति कुंतल की  तेजी लग रही है। ऑस्ट्रेलिया का काला चना ज्यादा आने वाला नहीं  है। राजस्थान के माल का दबाव कम होने से मंदा समाप्त है।

ऑस्ट्रेलिया के आयात सौदे पिछले वर्ष काफी मंदे भाव में होने तथा जनवरी माह के अंतराल लगातार कंटेनर उतरने से मंदे का दलदल बन गया था, लेकिन वर्तमान में किसी भी बंदरगाह से उतरने वाले चने के पड़ते 325/350 रुपए ऊंचे लग रहे हैं। 

जो पिछले माह राजस्थानी चना 5400 रुपए प्रति कुंतल बोल रहे थे, आज 5850 रुपए खड़ी मोटर में लॉरेंस रोड पर हो गया है। ऑस्ट्रेलिया का चना 5880 रुपए बिक रहा है। मई के प्रथम पखवाड़े में सरहद पर तनाव से काफी दाल मिलों के माल बिके हुए हैं, इस वजह से बाजार थोड़ा ठहराव पर है, लेकिन आगे चलकर तेजी आ जाएगी।

 फसल कर्नाटक आंध्र प्रदेश में निपट चुका है, वह माल अभी वहीं बिक रहा है। मध्य प्रदेश का चना वहीं खप रहा है तथा राजस्थान का चना प्रेशर में नहीं आएगा। उक्त दोनों राज्यों में बिजाई की रिपोर्ट के मुताबिक उत्पादन 80 लाख मीट्रिक टन का अनुमान आ रहा है, जबकि कम से कम घरेलू खपत 130 लाख मैट्रिक टन की है। 

नई फसल का स्टॉक देसी चने का ज्यादा नहीं है, केवल ऑस्ट्रेलिया के चना बीते फरवरी में दो शिपमेंट उतरने से बाजार नीचे आ गया था, जो अब बढ़ने लगा है तथा ऐसा आभास हो रहा है कि राजस्थान का चना यहां कम आयेगा, बाजार धीरे-धीरे बढ़ता जाएगा। 

अभी बड़ी दाल मिलों के माल सीधे ऑस्ट्रेलिया स्टॉक में पड़े हुए हैं, वह मिलिंग हो रहा है, इसलिए मंडियों में देसी चने का व्यापार अपेक्षाकृत कम हो गया है। इस बार ऑस्ट्रेलिया का चना जनवरी से मार्च तक की मिलिंग के लिए मिलों ने डायरेक्ट ऑस्ट्रेलिया से खरीद लिया था, वह अब समाप्ति की ओर है।

 आगे दाल व बेसन की खपत रहनी है तथा उस हिसाब से मंडियों में प्रेशर नहीं बन पाएगा, जिससे देसी चने के वर्तमान भाव व्यापार के लाभदायक लग रहे हैं।