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Bridge Facts : ये है देश का 450 साल पुराना शाही पुल, आज भी है बहुत मजबूत 

 

Bridge Facts : पहले के समय में पुल बहुत ही मजबूती से बनाएं जाते थे, लेकिन आज के समय में पुल जल्दी टूट जाते है. जिससे पैसा और समय दोनों खराब होते है. पुल गिरने की जान-मान की हानि हो जाती है, जो बहुत ही दुखद घटना होती है.

आप लोगों ने बहुत से बड़े-बड़े पुल देखे है. आज हम आपको एक ऐसे पुल के बारे में बता रहे है जो पिछले 450 साल से सही सलामत टिका हुआ है. हम बात कर रहे है 450 साल पुराने जौनपुर के शाही पुल की.

इस पुल को पुरानी तकनीक और पुराने समय में इस्तेमाल होने वाले मटीरियल से बनाया गया था. जौनपुर के शाही पुल को अटाला पुल या मुल्ला मुहम्मद पुल भी कहा जाता है.

ये ऐसा अकेला इतना पुराना पुल है, जो यातायात के भारी दबाव को झेलते हुए सैकड़ों सालों से मजबूती से टिका है. ये पुल गोमती नदी के ऊपर बना हुआ है. गोमती नदी में कई बार बाढ़ आने से भी ये पुल गिरा और डूबा नहीं.

इस पुल का निर्माण 1568-1569 ई. में मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में हुआ था. इस शाही पुल को तत्कालीन शाही हकीम और इंजीनियर मुल्ला मुहम्मद हुसैन शिराज़ी ने बनवाया था. भार त में बहुत ही कम पुराने पुल रह गए है.

ये पुल 457 सालों से ज्यादा समय से  टिका हुआ है. इस शाही पुल से कॉफी शहरी ट्रैफिक गुजरता है. 1934 के नेपाल-बिहार में आए भूकंप ने इस पुल को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था.

उसके सात मेहराबों को फिर से बनाना पड़ा. इस पुल में 28 रंग-बिरंगी छतरियां हैं, जो मौजूदा समय में अस्थायी दुकानों के रूप में काम करती हैं. ये शाही पुल 1978 से पुरातत्व निदेशालय, (यूपी) की संरक्षण सूची में है.

शाही पुल की मजबूती के कारण

– इस शाही पुल को पत्थर और चूना-गारा का शानदार मिश्रण से बनाया गया है. इसमें सीमेंट का इस्तेमाल कहीं भी नहीं किया गया है. जिस समय इस पुल को बनाया गया, उस समय सीमेंट की तकनीक ही नहीं थी.

मुगल काल में जितनी भी इमारतें बनीं वो सभी पत्थर और चूना गारा से ही बनाई गई थीं. इसमें उस ज़माने के विशेष सुरखी चूना, गुड़, बेल का गूदा और लाख का मिश्रण इस्तेमाल किया गया था. ये मिश्रण आज के सीमेंट से कहीं अधिक लचीला और टिकाऊ होता था.

- शाही पुल में कुल 28 मेहराब हैं, जो पानी के दबाव को समान रूप से बांटते हैं. आर्च स्ट्रक्चर अपने आप में खासा मजबूत और भूकंपरोधी है.