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Bollywood Songs: 82 साल पहले इस ब्लॉकबस्टर फिल्म ने कमाये थे 1 करोड़ रुपये, म्यूजिक कंपोजर के कारण हुई थी फेमस

 

Bollywood Songs : हिंदी सिनेमा का अपना ही एक अलग अंदाज है. हिंदी सिनेमा में 30-40 दशक से फिल्में बनती आ रही है. उस समय सभी फिल्में ब्लैक और व्याइहट में बनाई जाती थी. फिल्मों पर खर्चा बहुत कम होता था.

हिंदी सिनेमा में फिल्में ज्यादातर हीरो और हीरोइन से चलती है, लेकिन आज हम जिस फिल्म के बारे में बात कर रहे है जिसमें एक म्यूजिक कंपोजर के कारण ये फिल्म हिट हुई. हम बात कर रहे है साल 1943 में रिलीज हुई फिल्म ‘किस्मत’ की.

इस फिल्म में अशोक कुमार, मुमताज, शाह नवाज जैसे सितारे लीड रोल नजर आए थे. आज के समय जहां फिल्में 100-200 करोड़  आसानी से कमा लेती है. लेकिन 1943 में किस्मत फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1 करोड़ से ज्यादा कमाई कर इतिहास रच दिया था. 

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/EdsN8G4Ov-Y?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/EdsN8G4Ov-Y/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="Kismet {HD} - Ashok Kumar - Mumtaz Shanti - Shah Nawaz - Old Hindi Full Movie" width="853">

‘किस्मत’ की सक्सेस का क्रेडिट हीरो और हीरोइन को नहीं, बल्कि म्यूजिक कंपोजर अनिल विश्वास को दिया गया था. अनिल विश्वास जन्म 7 जुलाई 1914 को पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के बरीसाल में हुआ था.

अनिल विश्वास ने इस फिल्म  में ’आज हिमालय की चोटी से, फिर हमने ललकारा है’ जैसे गानों ने लोगों में देशभक्ति की भावना भर दी थी. ‘धीरे धीरे आ रे बादल’ जैसी मीठी धुन ने लोगों के दिल को छू लिया.

अनिल विश्वास को बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था. अनिल ने  किशोरावस्था में स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिस्सा लिया था. आंदोलन के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा. उसके बाद  मुंबई आकर थिएटर में काम करना शुरू कर दिया था.

अनिल ने शुरूआत में कलकत्ता की कुछ फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया था. अनिल की असली पहचान ‘बॉम्बे टॉकीज’ से मिली. अनिल ने अपने गानों और म्यूजिक से फिल्मों की दिशा बदल दी.

‘किस्मत’ के बाद अनिल विश्वास हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े कंजपोर्स में गिने जाने लगे. अनिल ने मुकेश, तलत महमूद, लता मंगेशकर, मीना कपूर और सुधा मल्होत्रा जैसे गायकों को पहला ब्रेक दिया था.

1940 और 50 के दशक में अनिल विश्वास ने गजल, ठुमरी, दादरा, कजरी, और चैती जैसे उपशास्त्रीय संगीत को पूरे देश में फैला दिया. अनिल ने ‘अनोखा प्यार’, ‘आरजू’, ‘तराना’, ‘आकाश’, ‘हमदर्द’ जैसी फिल्मों में हर गाना जबरदस्त था.