Raag Ratlami Bodhi School Land Scam बोधि को दिए नोटिस का वक्त हुआ पूरा,अब क्या करेगा जमीन का दलाल,अपनी जमीन वापस लेगी शहर सरकार
-तुषार कोठारी
रतलाम। घोटालो और रिश्वतखोरी जैसे हथकण्डों से हथियाई गई अवैध जमीन पर भगवान बुद्ध जैसे पवित्र नाम वाला स्कूल चलाने का पाप करने वाले शहर के कुख्यात जमीन दलाल को जमीन वापस करने के लिए दिए गए नोटिस का वक्त पूरा हो गया है। अब हर तरफ एक ही सवाल है कि जमीन दलाल अब क्या करेगा? सवाल ये भी है कि जबर्दस्त दबाव के कारण जमीन दलाल को नोटिस दे चुकी शहर सरकार के अफसर आगे क्या करेंगे?
अब ये जगजाहिर हो चुका है कि खुद को राजाओं का इन्द्र समझने वाले जमीन के दलाल ने शहर सरकार के नेताओं और अफसरों के साथ मिलीभगत करके बोधि स्कूल वाली बेशकीमती जमीन को कौडियों के दाम हडप लिया था। इस मामले की शिकायतें हुई और जांच में सारा सच सामने आ गया कि जमीन के दलाल ने पूरा फर्जीवाडा करके जमीन को हडप लिया है। इसके बाद जमीन दलाल और नेता अफसरों के खिलाफ धोखाधडी और फर्जीवाडे का मामला भी दर्ज कर लिया गया था।
लेकिन बेहद मोटी चमडी वाले और पूरी तरह बेशर्म हो चुके जमीन दलाल ने अवैध कमाई की हिस्सेदारी अफसरों को बांट बांट कर इस मामले को अदालत पंहुचने से लम्बे समय तक रोके रखा था। घोटाले में शामिल कुछ अफसर दुनिया से बिदा हो गए और कई सारे रिटायर्ड हो गए,लेकिन लम्बा वक्त गुजरने के बावजूद मामला अदालत तक नहीं पंहुच पाया था।
जमीन दलाल के फर्जीवाडे को उजागर करने में लगे लोग लगातार मेहनत करते रहे और आखिरकार सरकार ने फर्जीवाडे के इस मामले को अदालत में पेश करने की इजाजत भी दे दी। मामला अदालत में तो पंहुच गया,लेकिन शहर सरकार के अफसरों को इससे कोई फर्क नहीं पडा। सारा सच सामने आ जाने के बावजूद शहर सरकार के अफसरों ने अपनी जमीन वापस लेने की कोई कोशिश नहीं की।
आखिरकार यह मामला शहर सरकार के सम्मेलन में विपक्ष के नेता ने उठाया। विपक्ष के नेता ने अफसरों से पूछा कि वे अपनी जमीन वापस लेने के लिए क्या कर रहे है? तब शहर सरकार के बडे साहब ने सम्मेलन में ही आकर बताया कि वे नोटिस देने की तैयारी कर रहे है। बडे साहब की घोषणा के बावजूद नोटिस तैयार करने का काम कछुए की गति से चला। लेकिन इस मामले में पडते जबर्दस्त दबाव के चलते आखिरकार करीब दस दिन पहले जमीन दलाल को नोटिस दे ही दिया गया कि क्यो ना जमीन का आवंटन निरस्त कर कब्जा वापस ले लिया जाए।
शहर सरकार ने जमीन दलाल को नोटिस का जवाब देने के लिए सात दिन का वक्त दिया था। ये सात दिन पूरे हो चुके है। बताया जा रहा है कि जमीन का दलाल नोटिस का जवाब देने की बजाय अपने पुराने हथकण्डे अपना रहा है। वह शहर सरकार के अफसरों को धमकी दे रहा है कि इन्दौर वाली बडी अदलिया ने उसे स्टे आर्डर दे रखा है। जबकि असलियत ये है कि जमीन दलाल को ऐसा कोई स्टे आर्डर नहीं मिला है।
अब देखना ये है कि नोटिस का वक्त पूरा होने के बाद शहर सरकार के अफसर अपनी जमीन को वापस लेने की कार्रवाई करते है या हर बार की तरह वे फिर से जमीन दलाल के जबाव प्रभाव में आ जाते है? जमीन दलाल दो तरह की रणनीति अपनाता है। एक तरफ तो वह अदालत के आदेशो का हवाला देता है दूसरी तरफ अफसरों की भेंट पूजा भी करता है। ताकि उसके खिलाफ कोई कदम ना उठाया जाए।
शहर सरकार के तौर तरीको को जानने वालो का कहना है कि वैसे तो अफसर इस मामले में कोई बडा कदम उठाने की इच्छा नहीं रखते,लेकिन लगातार पडते दबाव के कारण उन्हे कोई ना कोई कदम उठाना ही पडेगा। चूंकि शहर सरकार की तरफ से नोटिस जारी हो चुका है इसलिए अब इसके बाद आगे कार्यवाही करना उनकी मजबूरी है। आने वाले दिनों में बोधि स्कूल की जमीन शहर सरकार अपने कब्जे में ले लेगी। इसमें वक्त कितना लगेगा ये आने वाला वक्त बताएगा।
हैसियत बदलने से सोच नहीं बदलती
सर्राफा दुकान से शुरु कर कारपोरेट कम्पनी बन जाने के बावजूद कम्पनी के डायरेक्टरों की मानसिकता दुकान वाली ही रह जाती है तो वही सबकुछ होता है,जो पिछले दिनों शहर में हुआ। अपने शोरुम की शुरुआत को बडा सैलीब्रेशन बनाने के लिए कम्पनी वालों ने बजरंग बली के बडे भक्त बागेश्वर सरकार को बुलवा लिया। बागेश्वर सरकार को क्या पता था कि उन्ही के प्रचार के लिए कम्पनी के लोग इतना टुच्चा काम करेंगे।
अपने आयोजन पर लाखों करोडों रुपए खर्चने वाले लोगों ने बागेश्वर सरकार के कार्यक्रम पर भी लाखों रुपए खर्च किए,लेकिन बागेश्वर सरकार के पोस्टर लगाने में कंजूसी दिखा गए। पूरे शहर को पोस्टरों से पाट दिया,लेकिन शहर सरकार से कोई इजाजत नहीं ली और ना ही इसके लिए जो शुल्क देना पडता है,वह दिया।
आखिरकार शहर सरकार ने जुर्माना थोप दिया। जुर्माने की रकम कोई खास बडी नहीं थी,जबकि कम्पनी बहुत बडी है,इसलिए जुर्माने की रकम भरने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन पूरी कहानी बागेश्वर सरकार को जरुर बहुत बुरी लगेगी,जब उन्हे इस बात की जानकारी मिलेगी कि उन्ही के पोस्टर लगाने पर जुर्माना लगाया गया है। कहते है कि हैसियत बदलने से लोगों की सोच नहीं बदलती। दुकान से कारपोरेट कम्पनी बनने के बाद भी जब सोच दुकान वाली ही रहती है तो इसी तरह की बातें होती है।