प्रेम, धैर्य, त्याग के बिना हठधर्मिता उत्पन्न होती है,उसी से महाभारत होता है - संत गोविन्दराम शास्त्री
रतलाम, 09 नवंबर(इ खबर टुडे) । रामस्नेही संप्रदाय की मालवा प्रांत की प्रमुख शाखा बड़ा रामद्वारा पुरोहित जी के बास में आयोजित वार्षिक वरसी सत्संग महोत्सव का तीन दिवसीय आयोजन हुआ जिस में रामस्नेही संप्रदाय के पूर्व आचार्यो एवं रामद्वारा महंतों की अनुभव वाणी पाठ एवं अखंड राम नामजप का आयोजन हुआ ।
संत महापुरुषों की अनुभव वाणी के 50,000 दोहा का पाठ संतों द्वारा किया गया साथ ही भक्तों द्वारा 24 घंटे अखंड रामनाम जप का आयोजन तीन दिवसीय पूज्य संत गोविन्दराम शास्त्री उत्तराधिकारी रामधाम खेड़ापा के पावन सानिध्य एवं महंत पुष्पराज महाराज के निर्देशन में वार्षिक वरसी कार्यक्रम आयोजन मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष तृतीय शनिवार को मंदिर, दिव्य देवालय शिखर, पादुका पूजन और महा आरती के साथ संपन्न हुआ।
प्रात: कालीन सत्संग में उत्तराधिकारी रामधाम खेड़ापा पूज्य संत गोविन्दराम शास्त्री ने कहा कि प्रेम, धैर्य, त्याग के बिना हठधर्मिता उत्पन्न होती है और उसी से महाभारत होता है। रामायण में भगवान राम का आदर्श मय जीवन युगो युगो तक मानव समाज को जीवन जीने की सीख प्रदान कर रहा है और करता रहेगा। इस में समान्य रूप से व्यक्ति को यह सीख लेनी चाहिए कि प्रेम और धैर्य के साथ जीवन में त्याग की भावना हर किसी के मन में होनी चाहिए तभी जीवन और समाज में खुशहाली आएगी।
उन्होंने कहा कि भगवान राम ने वचन व मर्यादा के आगे राज्य त्याग दिया, माता सीता ने प्रभु की सेवा के लिए राजसी सुखों को त्याग दिया, लक्ष्मण ने प्रभु सेवा के लिए सुख और वैभव त्याग दिए, भरत ने राम की चरण पादुकाएं रखकर अयोध्या का शासन संभाला और राम के वापस आते ही उन्हें पूरा राज्य सौंप दिया, शत्रुध्न ने पूरे परिवार को संभाला। इसके विपरीत बिना प्रेम त्याग के जीवन में दुर्योधन की हठधर्मिता से ही महाभारत हुआ ,अत:जीवन में प्रेम धैर्य त्याग की भावना समाहित हो तो समाज में अपने आप ही राम राज्य स्थापित हो जाता है ।
आयोजन में संत गोपालदास खेड़ापा, सन्मुखराम महंत झूठावद , देवाराम पीपाड, संत सालग्राम ,मोहनदास खेड़ापा, संत गोरधनदास , संत किशनदास, संत देवाराम खेड़ापा के साथ ही शहर के गणमान्य जन उपस्थित रहें ।