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 देश के सबसे ज्यादा दुर्गम तीन कैलाश पर्वतों की एक साथ यात्रा करने वाले पहले तीर्थयात्री बने फोटोग्र्राफर सुमित गर्ग

 बारह दिनो में पूरी  की 136 किमी की दुर्गम पैदल यात्रा 
 
 

रतलाम,4 अगस्त (इ खबरटुडे)।  शहर के फोटोग्र्राफर सुमित गर्ग को फोटोग्र्राफी करते करते अचानक हिमालय पर्वत के प्रति प्रेम जागृत हुआ और वे देश के सर्वाधिक दुर्गम तीन कैलाश पर्वतों की एक साथ यात्रा करने वाले इस क्षेत्र के संभवत: पहले यात्री बन गए। हिमाचल प्रदेश के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित मणि महेश कैलाश,श्रीखण्ड महादेव और किन्नर कैलाश तीनों ही कैलाश पर्वतों की यात्रा देश की सर्वाधिक दुर्गम यात्राओं में शुमार है,जिनमें यात्री को बेहद कम आक्सिजन वाले क्षेत्र में लगभग साढे अठारह हजार फीट की उंचाई तक  की बेहद कठिन यात्रा करना पडती है। 

सुमित ने एक साथ तीनों कैलाश पर्वतों की यात्रा का यह कारनामा इसी वर्ष जुलाई के महीने में किया। सुमित ने अपनी यात्रा 6 जुलाई को रतलाम से प्रारंभ की और मात्र 12 दिनों में मणि महेश,श्रीखण्ड महादेव और किन्नर कैलाश की 136 किमी की अत्यन्त दुर्गम पैदल यात्रा को पूरा कर लिया। सुमित ने अपनी यात्रा की शुरुआत श्रीखण्ड महादेव की यात्रा से की।

श्रीखण्ड महादेव,हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में लगभग साढे अठारह हजार फीट की उंचाई पर स्थित है। यहां आक्सिजन की मात्रा बेहद कम है और कुल सत्तर किमी लम्बाई का ट्रेक  है। श्रीखण्ड कैलाश पर्वत की यात्रा बेहद खडी चढाई वाली और पत्थरों से भरे रास्ते वाली है। इस यात्रा के आखरी चरण में भीम द्वार से श्रीखण्ड कैलाश तक की लगभग नौ किमी की बिलकुल खडी चढाई वाली दूरी लगातार बिना रुके एक साथ करना पडती है और इस पूरे रास्ते में पानी तक उपलब्ध नहीं होता। यात्री को अपनी यात्रा मध्य रात्रि में करीब एक बजे प्रारंभ करना पडती है और बिना रुके लगातार जाने और आने में कुल 18 किमी की यात्रा करना पडती है।

अपनी यात्राओ के बारे में चर्चा करते हुए सुमित ने बताया कि उन्होंने 70 किमी की यह यात्रा 6 दिनों में पूरी की। इनमें से एक दिन मौसम खराब होने की वजह से सुमित को रास्ते में ही रुकना पडा। आम तौर पर श्रीखण्ड कैलाश की यात्रा करने वाले यात्री एक बार में सिर्फ श्रीखण्ड़ कैलाश की ही यात्रा करते है,लेकिन श्रीखण्ड कैलाश के दर्शन करने के बाद सुमित वहीं से किन्नर कैलाश के दर्शनों के लिए निकल पडे।

सुमित ने बताया कि किन्नर कैलाश पर्वत हिमाचर प्रदेश के किन्नौर जिले के रिकांग पिओ में स्थित है। किन्नर कैलाश पर्वत भी लगभग साढे अठारह हजार फीट की उंचाई पर है और यहां तक पंहुचने के लिए यात्री को कुल 36 किमी की ट्रेकिंग करना पडती है। किन्नर कैलाश की यात्रा भी उतनी ही दुर्गम है,जितनी श्रीखण्ड महादेव की। सुमित ने बताया कि किन्नर कैलाश की यात्रा उन्होने चार दिनो में पूरी की। यहां भी खराब मौसम के चलते उन्हे एक दिन रास्ते में रुकना पडा।

किन्नर कैलाश की यात्रा पूरी करने के बाद सुमित ने मणि महेश कैलाश की यात्रा करने की ठानी। मणि महेश हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले क भरमौर उपखण्ड में स्थित है। मणि महेश कैलाश भी लगभग साढे अठारह हजार फीट की उंचाई पर है और यहां पंहुचने के लिए यात्री को कुल तीस किमी की ट्रेकिंग करना पडता है। मणि महेश के दर्शन के लिए यात्री को पन्द्रह किमी की लगातार खडी चढाई पर चढना होता है,तब यात्री मणि महेश के तल पर स्थित पवित्र डल झील तक पंहुचता है। सुमित ने मणि महेश की यात्रा को मात्र दो दिन में पूरा कर लिया।

फोटोग्र्राफी करते करते अचानक ट्रेकिंग का चस्का लगना और फिर तीन कैलाश पर्वतों की अत्यधिक दुर्गम यात्रा एक साथ पूरी करने का विचार कैसे आ गया? यह पूछे जाने पर सुमित का कहना है कि वर्ष 2020 में वे उत्तराखण्ड के कौसानी में आयोजित एक फोटोग्र्राफी वर्कशाप में भाग लेने कौसानी गए थे। उसी वर्क शाप के दौरान एक दिन उन्हे मात्र 4 सेकण्ड के लिए त्रिशूल पर्वत की चोटी देखने को मिल गई। मात्र चार सेकण्ड तक त्रिशूल पर्वत की चोटी देखने का सुमित पर ये असर हुआ कि तभी से उनके मन में हिमालय पर्वत को नजदीक से देखने और उंची चोटियों पर चढने की इच्छा जोर मारने लगी। सुमित ने कौसानी की फोटोग्र्राफी वर्कशाप के बाद वहीं नजदीक में एक साधारण ट्रेक मुंशियारी की ट्रेकिंग की।

इसके बाद तो सुमित पर हिमालय पर्वत का ऐसा असर हुआ कि वर्ष 2021,2022 और 2023 में वे लगातार केदारनाथ की यात्रा पर गए। इतना ही नहीं,इन तीनों वर्षों में दीपावली का त्यौहार भी सुमित ने केदार नाथ पर मनाया। इन्ही सालों में उन्होने गंगौत्री और तुंगनाथ चन्द्रशिला की ट्रेकिंग भी की।  केदारनाथ की लगातार तीन साल तक यात्रा करने के बाद सुमित को पंच केदार की यात्रा करने की इच्छा हुई और वर्ष 2024 में उन्होने अठारह दिनों तक लगातार ट्रेकिंग कर पंच केदार यानी केदारनाथ,तुंगनाथ,कल्पेश्वर,रुद्रनाथ और सबसे अंत में मद महेश्वर की ट्रेकिंग पूरी कर ली।

पहाडों से सुमित का प्यार लगातार बढता जा रहा है और आने वाले दिनों में वे हिमाचल और उत्तराखण्ड जैसे हिमालयीन क्षेत्रों में कई सारी ट्रेकिंग करना चाहते है। वे पंच कैलाश में से तीन कैलाश की यात्रा एक साथ पूरी कर चुके है,शेष बचे दो कैलाश यानी,कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश की यात्रा भी वे आने वाले सालों में करना चाहते है। सुमित का कहना है कि उंचे पहाडों पर विराजित महादेव के दर्शनों से उन्हे ऐसी अलौकिक अनुभूति होती है,जिसका वे शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते। इसी अलौकिक अनुभूति का प्रभाव है कि वे लगातार हिमालय के अलग अलग क्षेत्रों की यात्राएं करना चाहते है।

सुमित चूंकि स्वयं एक प्रशिक्षित फोटोग्र्राफर है,इसलिए उन्होने अपनी सभी यात्राओं के दौरान हिमालय के बेहद खुबसूरत नजारों को अपने मोबाइल और कैमरे मेंं कैद किया है। उनकी ये शानदार फोटोग्र्राफी और हिमालय के खुबसूरत नजारे सुमित की फेसबुक वाल www. facebook.com/sumit.gara  पर देखे जा सकते है।