Raag Ratlami RSS Sanchlan : हिन्दुत्व रक्षकों की कदमताल से गौरवान्वित हुआ रतलाम/ वर्दी वालो को मिल रही है खुली चुनौती
-तुषार कोठारी
रतलाम। बीते सप्ताह के आखरी दिन शहर के लोग दांतो तले उंगलिया दबाने को मजबूर हो गए जब उन्होने हिन्दुत्व रक्षकों की अनुशासित कदमताल को तीन अलग अलग दिशाओं से आकर एकसाथ मिलते देखा। वैसे तो इस तरह का चमत्कार काली टोपी वाले पहले भी दिखा चुके थे,लेकिन इस बार यह चमत्कार पहले से भी बडा था। पहले जो हुआ था,उसमें दो दिशाओं के संचलनों का समागम हुआ था,जबकि इस बार तीन संचलनों का संगम था।
इस बार का ये आयोजन कई मायनों में बेहद खास था। हिन्दुत्व रक्षकों के संगठन की स्थापना के सौ वर्ष पूरे हो चुके है और इस शताब्दी वर्ष को ऐतिहासिक बनाया जा रहा था। इसी के चलते इस पर जमकर मेहनत की गई थी। शताब्दी वर्ष को लेकर सिर्फ संगठन के सदस्यों में ही उत्साह नहीं था,बल्कि सामान्य लोगों में भी जमकर उत्साह था। लोगों ने अपने इस उत्साह का प्रदर्शन सौ से ज्यादा स्वागत मंच बनाकर किया था।
स्वागत मंचों पर महिला पुरुषों की भारी संख्या भी यह बता रही थी कि उनमें कितना अधिक उत्साह है। सिर्फ यही नहीं,उनकी उपस्थिति यह भी प्रदर्शित कर रही थी कि भले ही उन्होने काली टोपी वाली यूनिफार्म नहीं पहनी थी,लेकिन दिल से वे भी इन हिन्दुत्व रक्षकों के साथ कदमताल कर रहे थे और कदमों से कदम मिला रहे थे।
अनुशासित कदमताल का चमत्कार दिखाने की तैयारी भी बीते कई दिनों से की जा रही थी। पांच स्थानों से संचलन निकलना थे,इसलिए इन पांचों स्थानों से कुछ चुनिंदा सदस्य कई दिनों से संचलन की रिहर्सल कर रहे थे। यह रिहर्सल आमतौर पर रात को की जाती थी। पांचों स्थानों से निकलकर समय मिलाया जाता था। पांचों संचलनों के मार्ग इस तरह निर्धारित किए गए थे,कि मिलन स्थल तक सभी की दूरी लगभग समान रहे। संचलन मार्गो की लम्बाई के अंतर को पाटने के लिए संचलन प्रारंभ करने के समय भी अलग अलग निर्धारित किए गए थे,ताकि मिलन स्थल पर सभी संचलन बिलकुल एक समय पर पंहुचे। कई दिनों की रिहर्सल का ये नतीजा था कि जिसने भी ये मिलन देखा वह चमत्कृत रह गया।
हिन्दुत्व रक्षकों की ये कदमताल बरसों बरस तक याद रखी जाएगी,न सिर्फ इसकी भव्यता और विराटता को लेकर बल्कि इसे इसलिए भी याद रखा जाएगा कि इस आयोजन ने पूरे हिन्दू समाज के आत्मसम्मान को आसमान तक उंचा कर दिया। समाज के आत्मसम्मान में वृद्धि के साथ ही पूरा नगर भी इस आयोजन से गौरवान्वित हो गया।
वर्दी वालों को खुली चुनौती
घरों के ताले चटकाने वाले वर्दी वालों को खुली चुनौती देते नजर आ रहे है। एक ही रात मेंं चोरों ने दो घरों के ताले चटका कर लाखों के गहनों नगदी पर हाथ साफ कर दिया। वैसे तो पूरे शहर पर कैमरों से नजर रखी जाती है। शहर के चप्पे चप्पे पर वर्दी वालों की नजर रहती है,लेकिन ताले चटकाने वाले इसके बावजूद अपने कारनामों को अंजाम दे जाते है।
वैसे वर्दी वालों का ट्रेक रेकार्ड फिलहाल तो ठीक ही चल रहा है। वारदातें हो रही है,लेकिन जल्दी ही उनका खुलासा भी हो जाता है। गुनाह करने वाले देर सवेर वर्दी वालों के हत्थे चढ ही जाते है। टैक्नालाजी वर्दी वालों के लिए बडी मददगार साबित हो रही है। मोबाइल और कैमरों की नजर के चलते गुनाहगार ज्यादा वक्त तक बच नहीं पाते। इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि सूने घरों को निशाना बनाकर लाखों की चोरी करने वाले भी जल्दी ही दबोच लिए जाएंगे। लेकिन सवाल ये है कि एक ही रात में दो अलग अलग इलाकों में चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले,रात को गश्त करने वालों की नजर में क्यों नहीं आए?
स्वास्थ्य विभाग की बेशर्मी...
सरकार ने महिलाओं के सुरक्षित और संस्थागत प्रसव के लिए कई सारे इंतजाम किए है,लेकिन महकमे के कारिन्दों की संवेदनहीनता इन सारे इंतजामों पर पानी फेर देती है। जिले के आलोट में यही कुछ नजर आया। अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर सरकारी अस्पताल पंहुचे पति को डाक्टर ने देखना तो दूर भीतर भी नहीं आने दिया। उसकी पत्नी दर्द से कराहती रही। गनीमत ये थी कि गांव की दाई भी पत्नी के साथ ही आई थी। इस वजह से अस्पताल के गलियारों में ही दाई ने प्रसव करवा दिया। नवजात और उसके माता पिता की किस्मत तेज थी कि नवजात बच्चा स्वस्थ है।
डाक्टर की संवेदनहीनता से दुखी नवजात बच्चे के पिता ने इस बात की शिकायत उपर तक पंहुचाई है। अस्पताल के बडे साहब ने मामले की जांच कराने का आश्वासन भी दे डाला है,लेकिन अब तक कुछ भी होता हुआ नजर नहीं आया है। अस्पताल के गलियारे में इस तरह की घटना होना बडे अफसरों को शर्मसार करने के लिए काफी है,लेकिन इतने गंभीर मामले पर ही कोई कार्रवाई ना होना बताता है कि उपर वालों को भी शर्म नहीं आती।