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Raag Ratlami Politics  पंजा पार्टी "सूत ना कपास जुलाहों में लट्ठम लट्ठा"/ फूल छाप "पाडों की लडाई में बागड का नाश"

 
 

-तुषार कोठारी

रतलाम। सियासत के लिहाज से बीता हफ्ता बडी सरगर्मियों वाला रहा। बीते हफ्ते में दोनो ही पार्टियों के सूबे के युवा नेता रतलाम आए और दोनो पार्टियों में अलग अलग नजारे सामने आए। सियासती नजारों के लिहाज से दोनो ही पार्टियों की हालत अलग अलग नजर आई।

पहले बात पंजा पार्टी की। पंजा पार्टी के नजारे देखकर हर किसी को यही लगा कि पंजा पार्टी की हालत सूत ना कपास जुलाहो में लट्ठम लट्ठा वाली हो गई है। पंजा पार्टी का अस्तित्व खात्मे की ओर नजर आ रहा है। पंजा पार्टी के पास अब उंगलियों पर गिने जा सकने वाले कार्यकर्ता ही बचे है। वोटरों ने पंजा पार्टी को हर स्तर की सत्ता से दूर कर दिया है। सत्ता दिल्ली वाली हो या भोपाल वाली या फिर शहर की ही क्यो ना हो। पंजा पार्टी कहीं नहीं है। 

शहर सरकार में गिने चुने लोग पंजा पार्टी के है। उनमें भी कई सारे चाहते है कि उन्हे किसी ना किसी तरह फूल छाप में एन्ट्री मिल जाए। ये अलग बात है कि फूल छाप वाले अब पंजा पार्टी वालों को लेना नहीं चाहते। उनके यहां पहले ही ऐसे लोगों की भरमार हो गई है,जो पंजा पार्टी छोड छोड कर फूल छाप की गाडी में सवार हो गए हैैं।

इतनी बुरी हालत के बावजूद पंजा पार्टी में टिके हुए नेताओं की आपसी खींचतान देखकर जुलाहों वाली कहावत बिलकुल सच साबित हो जाती है। पंजा पार्टी वालों के पास कुछ नहीं है,लेकिन खींचतान ऐसी है जैसे सारी मलाई इन्ही के पास हो। पंजा पार्टी की युवा इकाई के प्रदेश के मुखिया रतलाम के दौरे पर आए। रतलाम में पंजा पार्टी के मुखिया ने उनसे मिलना तक जरुरी नहीं समझा। युवा ईकाई के मुखिया ने रतलाम के मुखिया को बुलाने के लिए फोन भी लगवाए और खुद भी फोन लगाया। 

पंजा पार्टी ने हाल ही में पहलवान को पंजा पार्टी की कमान सौंपी है। वे शहर में ही थे,लेकिन उनकी नाराजगी रतलामी युवा इकाई के दूसरे पहलवान से थी। पंजा पार्टी के युवा पहलवान, पंजा पार्टी की कमान दूसरे पहलवान को देने को राजी नहीं थे। उनकी पसन्द कोई और था। लेकिन युवा पहलवान की चली नहीं और दूसरे पहलवान ने पंजा पार्टी की कमान हासिल कर ही ली। यही वजह थी कि बडी वाली पंजा पार्टी के पहलवान ने युवा पंजा पार्टी वाले पहलवान के आयोजन में जाने की जरुरत नहीं समझी। ये अलग बात है कि उनकी गैरहाजरी को युवा पंजा पार्टी के प्रदेश के मुखिया ने अपनी बेइज्जती मान लिया। 

युवा पंजा पार्टी के प्रदेश के मुखिया अपने पट्ठों को कह कर गए है कि इस बात की शिकायत वे उपर तक करेंगे। उनकी शिकायत क्या गुल खिलाएगी? इसका कोई असर बडी पंजा पार्टी के पहलवान पर पडेगा या नहीं और पडेगा तो कितना पडेगा? ये सारी बातें आने वाले दिनों में साफ होगी। 

पंजा पार्टी में झगडा सिर्फ यही नहीं है। पंजा पार्टी के कई दूसरे नेता भी इन दिनों नाराज चल रहे है और आपसी झगडे जोरों पर है। कुल मिलाकर पंजा पार्टी के बचे खुचे नेता भी आपस में लड भिड रहे है। ऐसे में इतना तय है कि पंजा पार्टी का भविष्य अंधकारमय है और इसमें सुधार आने की कोई उम्मीद नहीं है।

फूल छाप-"पाडों की लडाई में बागड का नाश"

पंजा पार्टी के नेताओं में आपसी खींचतान और झगडे है तो फूल छाप में भी कुछ अलग तरह की खींचतान है। फूल छाप वालों की इस खीचतान का खामियाजा,शहर की उस जनता को भुगतना पड रहा है,जिसका पार्टी की खींचतान से कोई लेना देना नहीं है। ये बिलकुल वही मिसाल है कि पाडों की लडाई में बाग का नाश हो रहा है।

हफ्ते के आखरी दिन फूल छाप की युवा इकाई के मुखिया का रतलाम आना हुआ। रतलाम में युवा फूल छाप के नए मुखिया की नियुक्ति होना है। कई सारे युवा नेताओं की नजर इसी पद पर लगी है। अब चूंकि प्रदेश का मुखिया शहर में आ रहा था,तो तमाम दावेदारों ने प्रदेश के मुखिया को अपनी अपनी ताकत दिखाने की ठानी। ताकत दिखाने के चक्कर में इन नेताओं ने शहर की सडक़ों को अपने कब्जे में ले लिया और सडक़ पर कई सारे स्वागत मंच लगा दिए।

मामला चूंकि ताकत दिखाने का था,इसलिए मंच भी बडे बडे लगाए गए,ताकि प्रदेश के मुखिया को प्रभावित किया जा सके। प्रदेश के मुखिया का जुलूस भी ऐसा निकाला गया,मानो वो कई बडा चुनाव जीत कर आए हो। हर मंच पर फूलों की बारिश की गई। फूल उडाने के लिए जेसीबी मशीनों तक को लगाया गया था। 

इतना सबकुछ तो होता रहा,लेकिन इस दौरान शहर की जनता पीसती रही। सडक़ें जाम थी,इसलिए लोग घण्टों तक जाम में फंसे हुए थे। वे यही सोच रहे थे कि उनका क्या कसूर है,जो उन्हे इस तरह की सजा भुगतनी पड रही है। आपसी खींचतान युवा नेताओं की है और खामियाजा जनता भुगत रही है। इसी को कहते है पाडों की लडाई में बागड का नाश....।