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Raag Ratlami Conversion : बढता जा रहा है क्रास लटकाने वालो का दुस्साहस,गांवों से निकल कर शहर तक पंहुच गए धर्मान्तरण मेंं लगे षडयंत्रकारी

 
 

-तुषार कोठारी

रतलाम। पहले यह माना जाता था कि सेवा और प्रलोभन देकर भोले भाले आदिवासियों के गले में क्रास लटकाने वाले केवल दूर दराज के आदिवासी गांवों में ही सक्रिय रहते हैं। कभी बीमारी को ठीक करने की आड में और कभी बच्चों को अच्छे स्कूल में निशुल्क शिक्षा और नौकरी दिलाने की लालच देकर भोले भाले आदिवासियों को उनके पूर्वजों के सनातन धर्म से निकालकर उनके गले में क्रास लटकाने का षडयंत्र देश में कई दशकों से चल रहा हे,लेकिन अब इनका दुस्साहस बढने लगा है। अब लालच देकर धर्म बदलने के षडयंत्रकारी गांवों से निकल कर शहरों मेंं भी अपना जाल फैलाने लगे है।

मध्यप्रदेश में 1967 से लालच देकर धर्म बदलना अपराध घोषित है। इसके बावजूद इन षडयंत्रकारियों को इसका कोई भय नहीं है। आजादी के बाद से फूल छाप पार्टी की सरकार आने के पहले तक धर्मान्तरण का कानून होने के बावजूद इस कानून का कभी भी उपयोग नहीं किया जाता था। सरकारें,सफेद चोगा पहनकर गले में क्रास लटकाए घूमने वालों को कानून तोडने की सजा देने के बजाय उन्हे पुरस्कृत किया करती थी। इसी वजह से उनका दुस्साहस बढता रहा।

लेकिन अब दिल्ली से लेकर सूबे तक फूल छाप वालों की हिन्दुत्ववादी सरकारें काबिज है। इसके बावजूद क्रास लटकाने वाले षडयंत्रकारियों का दुस्साहस कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हफ्ते के आखरी दिन शहर के ही शिवनगर में क्रास लटकाने के एक षडयंत्र का पर्दाफाश किया गया। यहां पर बीमारी ठीक करने का लालच देकर आदिवासियों के गले में क्रास पहनाने का खेल चल रहा था। ये तो भला हो हिन्दू संगठनों के लोगों का, जिन्होने इस षडयंत्र को उजागर किया और षडयंत्रकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया।

पिछले कुछ सालों में शहर में ऐसे कई मामले पकडे गए हैैं। ऐसा नहीं है कि ये शहरों में खेल कर रहे है,तो गांवों के खेल बन्द हो गए है। गांवों में भी ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। अभी कुछ ही महीनों पहले रतलाम के बेहद नजदीक के एक गांव में भी ऐसा ही मामला सामने आया था,जहां बडी तादाद में आदिवासियों को क्रास पहनाने का षडयंत्र किया जा रहा था।

अब बडा सवाल ये है कि इनका दुस्साहस बढता क्यो जा रहा है और इन पर रोक क्यों नहीं लग पा रही है? तो जवाब ये है कि इंतजामिया और खाकी वर्दी वाले इस तरफ से आंखे मूंदे रहते है। गांव गांव में इंतजामिया के कारिन्दे तैनात होते है। कोटवार,आंगनवाडी,एएनएम,पटवारी जैसे कई सरकारी कर्मचारी गांवों में तैनात होते है। क्रास लटकाने के षडयंत्र उनकी नजरों के सामने होते है। लेकिन वे इस ओर से आंखे मून्द लेते है। 

प्रदेश में किसी व्यक्ति को लालच देकर उसका धर्म बदलना दण्डनीय अपराध घोषित है। पहले ये कानून कुछ नरम था,लेकिन फूल छाप की सरकार ने इसे अब पहले की तुलना में काफी कठोर बना दिया है और इसमें सजा का प्रावधान भी बढा दिया है। ऐसे में अगर कहीं भी कानून के खिलाफ काम हो रहा हो तो उसे रोकने की पहली जिम्मेदारी इंतजामिया और खाकी वर्दी वालों की होती है। लेकिन इंतजामिया और खाकी वर्दी वालों को शायद यह महसूस ही नहीं होता कि प्रेयर मीटींग करके क्रास लटकाने का खेल दण्डनीय अपराध है और उसे रोकना उनकी जिम्मेदारी है। अगर जिला इंतजामिया के बडे अफसर अपने मातहतों को इस बात की जानकारी दे,तो बडी आसानी से गांव गांव में चल रहे इन षडयंत्रों को रोका जा सकता है।

यही स्थिति रतलाम शहर की भी है। यहां तो क्रास लटकाने वाले इतने दुस्साहसी हो गए है कि आदिवासियों के साथ साथ अन्य जाति समुदाय के लोगों को भी अपना शिकार बनाने लगे है। झोपड पïिट्टयों में रहने वाले गरीब लोगों को वे अपना शिकार बना रहे है। उन्हे पढाई,नौकरी और रुपयों का लालच देकर उनके गले में क्रास लटका दिया जाता है। फिर उन्हे प्रेयर के लिए चर्च में बुलाया जाता है और धीरे धीरे उन्हे अपने पूर्वजों के धर्म से दूर कर दिया जाता है। 

संगठनों की अपनी सीमाएं है। वे यथाशक्ति इन षडयंत्रों को रोकने की कोशिश करते है,लेकिन अगर सरकार अपने अफसरों को भी ये जिम्मेदारी देदे तो निश्चित तौर पर गांव गांव में चल रहे इस दुष्चक्र पर रोक लगाई जा सकती है।

अब भी बाकी है फूल छाप वालों का इंतजार

फूल छाप पार्टी वालों का इंतजार है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। फूल छाप वालों का इंतजार दिल्ली से लगाकर रतलाम तक चल रहा है। उधर दिल्ली में फूल छाप के देश भर के मुखिया का फैसला नहीं हो पा रहा है। तो इधर रतलाम के मुखिया अपनी नई टीम घोषित नहीं कर रहे हैैं।

पहले उन्होने कहा था कि आजादी वाले दिन तक टीम बना लेंगे,लेकिन वो दिन भी गुजर गया। बताते है कि पहले तो चुने हुए माननीयों ने अपने चहेतों के नाम नहीं दिए थे। अब नाम मिल गए है,तो भोपाल से मामला फाइनल होना रुका हुआ है। कुल मिलाकर इंतजार अभी बाकी है।