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अगले पांच  वर्षों में देश के प्रमुख शहरों में  रेल गाड़ियों की संचालन क्षमता दोगुनी करेगा रेल मंत्रालय 

प्रमुख शहरों में कोचिंग टर्मिनलों का विस्तार यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने, भीड़भाड़ कम करने और राष्ट्रव्यापी संपर्क सुविधा में सुधार लाने के लिए किया जाएगा: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
 
रेल मंडल के चार स्टेशनो पर जारी है विकास कार्य 
इंदौर, डॉ. अंबेडकर नगर (महू), लक्ष्मीबाई नगर और उज्जैन शामिल है योजना में 
 

रतलाम, 28  दिसम्बर(इ खबरटुडे)।  यात्रा की मांग में लगातार हो रही तीव्र वृद्धि को देखते हुए, अगले 5 वर्षों में प्रमुख शहरों की नई रेल गाड़ियों के संचालन की क्षमता को वर्तमान स्तर से दोगुना करना आवश्यक है। आगामी वर्षों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वर्तमान बुनियादी ढांचे को मजबूत करना होगा। वर्ष 2030 तक संचालन क्षमता को दोगुना करने के लिए नियमित रूप कार्य किया जाएगा। इसी के तहत  रतलाम रेल मंडल के चार स्टेशनो पर पर व्यापक कोचिंग एवं टर्मिनल विकास कार्य चल रहे हैं।

इसके लिये रेलवे के विभिन्‍न खंडों में परिचालन क्षमताओं विस्‍तार कर रहे हैं। इस कदम से हमारे रेलवे नेटवर्क का उन्नयन होगा और राष्ट्रव्यापी संपर्क सुविधा में सुधार होगा। ”क्षमता वृद्धि की राष्ट्रीय योजनायात्रियों की तीव्र बढ़ती मांग को देखते हुए भारतीय रेलवे ने अगले पाँच वर्षों में सभी प्रमुख शहरों में रेलगाड़ियों की संचालन क्षमता को वर्तमान स्तर से दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।

बुनियादी ढांचा उन्नयन का कार्य चरणबद्ध रूप से  किया जाएगा, जिसके तहत नए प्लेटफॉर्म, पिट लाइन, स्टेबलिंग/होल्डिंग एरिया, कोचिंग सुविधाएँ तथा स्टेशन विकास के कार्य शामिल हैं। इससे बुनियादी ढाँचे को मजबूत करते हुए यात्रा की माँग और भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा।

रेलवे के संचालन क्षमता में विस्‍तार के अंतर्गत मध्‍य प्रदेश के मालवा क्षेत्र पर भी विशेष ध्‍यान दिया जाएगा। इसके अंतर्गत पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल के प्रमुख स्टेशनों—इंदौर, डॉ. अंबेडकर नगर (महू), लक्ष्मीबाई नगर और उज्जैन—पर व्यापक कोचिंग एवं टर्मिनल विकास कार्य चल रहे हैं। ये स्टेशन मालवा क्षेत्र के प्रमुख यात्री, धार्मिक और पर्यटन केंद्र हैं।

इंदौर स्टेशन - वर्तमान में इंदौर स्टेशन से प्रतिदिन लगभग 57 जोड़ी गाड़ियाँ संचालित होती हैं जिसमें 41 जोड़ी ओरिजिनेट/टर्मिनेट होती है। यहाँ 6 प्लेटफॉर्म और 5 पिट लाइनें उपलब्ध हैं। इसके साथ ही इंदौर रेलवे स्‍टेशन का पुनर्विकास कार्य भी प्रगति पर है जो  न केवल यात्री सुविधा के लिए बल्कि अतिरिक्‍त ट्रेनों के संचालन की दृष्टि से भी काफी उपयोगी साबित होगा।

लक्ष्मी बाई नगर - लक्ष्‍मीबाई नगर रेलवे स्‍टेशन में वर्तमान में 4 स्‍टेबलिंग लाइन, 3 प्‍लेटफर्मा तथा 1 शंटिंग नेक उपलब्‍ध है । यहॉं दो अतिरिक्‍त प्‍लेटफार्म निर्माण का कार्य प्रगति पर है। यहाँ एक समेकित कोचिंग मेंटेनेंस डिपो स्थापित किया जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत ₹259 करोड़ है। परियोजना के तहत 5 नई पिट लाइनें, 7 स्टेबलिंग लाइनें और सिक कोच लाइनें निर्मित होंगी। इससे प्रतिदिन 15 प्राइमरी मेंटेनेंस ट्रेनों की देखरेख संभव होगी तथा यह डिपो इंदौर के दबाव को कम करते हुए एक सैटेलाइट टर्मिनल के रूप में विकसित होगा। इसके साथ ही लक्ष्‍मी बाई नगर रेलवे स्‍टेशन का पुनर्विकास कार्य भी किया जा रहा जिसके अंतर्गत अत्‍याधुनिक या‍त्री सुविधाओं के साथ नया स्‍टेशन भवन, नये प्‍लेटफार्म, कवर शेड, फुट ओवर ब्रिज, लिफ्ट/एस्‍केलेटर आदि लगाने के कार्य किया जाना है।

डॉ. अंबेडकर नगर (महू) - वर्तमान में  यहॉं 4 प्‍लेटफार्म एवं 3 पिट लाइन उपलब्‍ध है, किन्‍तु प्‍लेटफार्म की लंबाई, ओएचई एवं प्‍लेटफार्म कनेक्टिविटी का कार्य प्रगति पर है तथा मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्‍य है। इसके बाद यह स्टेशन अधिक गाड़ियों के संचालन हेतु सक्षम हो जाएगा।  वर्तमान में इस स्‍टेशन से 15 जोड़ी नियमित एवं 2 जोड़ी स्‍पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। इस स्‍टेशन को समेकित कोचिंग डिपो के रूप में विकसित किया जा रहा है जिसके पहले चरण में 2 नई पिट लाइनों का कार्य जो लगभग ₹94 करोड़ की लागत से तैयार किया जाएगा। इससे 6 ट्रेनों की मेंटेनेंस क्षमता बढ़ेगी। दूसरे चरण में सिक लाइनों और स्टेबलिंग सुविधाओं का विस्तार प्रस्तावित है।

उज्जैन जंक्शन – उज्जैन, जो धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र है, वहाँ आगामी सिंहस्थ 2028 को देखते हुए 9 नई स्टेबलिंग/होल्डिंग लाइनों की योजना बनाई गई है। इससे लगभग 11 प्लेटफॉर्म रिटर्न ट्रेनों को खड़ा करने और टर्मिनेट करने की क्षमता विकसित होगी। इसके साथ ही यार्ड रिमॉडलिंग, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का पूरा कर लिया गया है। संभावित अतिरिक्‍त यात्रियों का समायोजन करने के लिए यात्री होल्डिंग ज़ोन तथा सुविधाओं का व्यापक उन्नयन किया जाएगा।

अनुमानित वृद्धि

इन सभी कार्यों की पूर्णता पर इंदौर–उज्जैन क्षेत्र में कुल 7 नई पिट लाइनें और 16 नई स्टेबलिंग लाइनों की सुविधा प्राप्त होगी। इससे प्रतिदिन 21 प्राइमरी मेंटेनेंस और 11 प्लेटफॉर्म रिटर्न ट्रेनों सहित कुल 32 अतिरिक्त ट्रेनों की संचालन क्षमता विकसित होगी। इससे मालवा क्षेत्र में लंबी दूरी की गाड़ियाँ, त्योहार विशेष रेल सेवाएँ एवं नई वातानुकूलित ट्रेनों की कनेक्टिविटी की शुरुआत संभव होगी।

केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “हम यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने और भीड़भाड़ को कम करने के लिए विभिन्न शहरों में कोचिंग टर्मिनलों का विस्तार कर रहे हैं और अनुभागीय एवं परिचालन क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं। इस कदम से हमारे रेलवे नेटवर्क का उन्नयन होगा और राष्ट्रव्यापी संपर्क सुविधा में सुधार होगा।”