करोडों के नोटों से सजे लक्ष्मी माता के दरबार,उमडी भक्तों की भारी भीड (देखे विडीयो)
रतलाम,18 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। स्वर्णाभूषणों
भक्तों के नोटों से श्रृंगार
महालक्ष्मी मन्दिर में माता की साजसज्जा नोटों और स्वर्णाभूषणों से किए जाने की परम्परा कई सालों पुरानी है। दीपावली आने से पहले ही भक्तगण अपनी अपनी हैसियत के मुताबिक गहने और नोटों की गड्डियां मन्दिर में जमा करवा देते है। इसके बाद मन्दिर के पुजारी व अन्य कार्यकर्ता इन नोटों और गहनों से मन्दिर को सजाते है। मन्दिर की साज सज्जा धनतेरस को पूरी होती है और फिर इसे पांच दिवसीय दीपोत्सव पूरा होने तक यानी भाई दूज तक रखा जाता है। भक्तों द्वारा दिए गए नोटों और गहनों का पूरा हिसाब रखा जाता है और भाई दूज के बाद ये नोट और गहने भक्तों को लौटा दिए जाते है। भक्तों की मान्यता है कि महालक्ष्मी माता के पास नोट और गहने रखने से उनकी धन सम्पदा में लगातार वृद्धि होती है।
कुबेर पोटली का प्रसाद
दीपोत्सव के दिनों में महालक्ष्मी मन्दिर में आने वाले भक्तों को कुबेर पोटली प्रसाद स्वरुप दी जाती है। भक्तों की मान्यता है कि कुबेर पोटली को तिजोरी में रखने से सम्पत्ति में लगातार वृद्धि होती है। इसी वजह से महालक्ष्मी मन्दिर की कुबेर पोटली प्राप्त करने के लिए हजारों भक्तों की भीड उमडती है और दूर दूर से लोग मन्दिर के दर्शन करने पंहुचते है।
अधिकारियों की मौजूदगी में खुले पट
धनतेरस के दिन यानी आज तडके चार बजे मन्दिर के पट खोले गए। मन्दिर के पट खोलने के समय कलेक्टर सुश्री मीशा सिंह,एसपी अमित कुमार समेत प्रशासन और पुलिस के कई अधिकारी मौजूद थे। एसपी अमित कुमार सपत्नीक मन्दिर में पंहुचे थे। मन्दिर के पट खुलते ही महालक्ष्मी माता की आरती की गई। एसपी और कलेक्टर समेत अन्य अधिकारी भी आरती में शामिल हुए और बाद में उन्होने मन्दिर में आए श्रद्धालुओं को कुबेर पोटली का वितरण भी किया। सुबह चार बजे से ही भक्तों की भारी भीड लग चुकी थी।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मन्दिर परिसर में मौजूद मीडीयाकर्मियों से चर्चा करते हुए कलेक्टर सुुश्री मीशा सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा मन्दिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए चाक चौबन्द इंतजाम किए गए है। अलग अलग आयुवर्ग के लिए अलग अलग लाइन लगाकर दर्शनों की व्यवस्था की गई है,ताकि वरिष्ठ जन को किसी प्रकार की असुविधा ना हो। एसपी अमित कुमार ने बताया कि पांच दिनों के लिए यहां अस्थाई पुलिस चौकी कायम की गई है और सशस्त्र पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। पूरे इलाके में सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछा दिया गया है ताकि किसी प्रकार की गडबडी ना हो सके। इसके अलावा मन्दिर से थाने पर अलार्म की व्यवस्था भी की गई है। यदि यहां किसी प्रकार की गडबडी की आशंका होगी तो सीधे पुलिस थाने में अलार्म बजने लगेगा।
नोटों के साथ विदेशी करेन्सी भी लगी लक्ष्मीनारायण की सजावट में
महालक्ष्मी मन्दिर की ही तर्ज पर इस वर्ष कालिका माता मन्दिर के निकट स्थित प्राचीन लक्ष्मीनारायण मन्दिर को भी नोटों से सजाया गया है। यहां की सजावट की एक खासियत यह भी है कि इसमें भारतीय मुद्रा रुपए के अलावा विदेशी करेन्सी नोटों का भी उपयोग किया गया है।
मन्दिर के पुजारी दीपक व्यास के मुताबिक मन्दिर में आने वाले भक्तजनों की इच्छा थी कि लक्ष्मीनारायण भगवान की साजसज्जा में भी भव्यता लाइ जाए और इसे नोटों से सजाया जाए। भक्तों की इच्छा को देखते हुए मन्दिर की साजसज्जा नोटों से की गई है।
विवाह की मन्नतों के लिए प्रसिद्ध है लक्ष्मीनारायण मन्दिर
पुजारी दीपक व्यास ने बताया कि लक्ष्मीनारायण मन्दिर अत्यन्त प्राचीन होकर करीब साढे तीन सौ वर्ष पुराना है। यहां स्थापित भगवान की प्रतिमा भी अपने आप में अनूठा है। मन्दिर में भगवान विष्णु अपने वाहन गरुड पर सवार है और माता लक्ष्मी उनकी गोद में विराजित है। भगवान का यह अनूठा स्वरुप और कहीं देखने को नहीं मिलता। भक्तों की मान्यता है कि जिन लोगों के विवाह में विलम्ब हो रहा है,वे यहां आकर जल्दी विवाह होने की मन्नत मांगते है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो जोड़े से आकर भगवान लक्ष्मीनारायण के दर्शन करते है।